न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। कई राज्यों में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सड़क पर बैठ कर केंद्र सरकार से इस कानून वापस लेने की मांग को लेकर धरने पर बैठी हैं।
दिल्ली के शाहीन बाग में तो महिलाएं 69 दिनों सड़क पर बैठ कर धरना दे रही हैं। शाहीन बाग़ की ही तरह बिहार के पटना के सब्ज़ीबाग़ में महिलाएं 12 जनवरी से इस कानून के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहीं हैं।

इस बीच केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने लोगों से इस सीएए का बहिष्कार करने की अपील की है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक लेटर में पूर्व आईपीएस ने कहा कि एनपीआर-एनआरसी/ सीएए भारतवर्ष के संविधान पर संघी फासीवादियों का आतंकी हमला है। ये काला कानून बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के पवित्र संविधान की धज्जियां उड़ा देना चाहते हैं। सारे हिंदुस्तानी इस काले कानून से तबाह हो जाएंगे। खासकर अल्पसंख्यक और दलित समाज के लोगों पर इस कानून का बुरा असर पड़ेगा।
यही नहीं उन्होंने सभी से अपील भी की कि, अप्रैल 2020 में शुरू होने वाले नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया का बहिष्कार करें। लेकिन यह बहिष्कार पूर्ण रूप से अहिंसक होना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों से किसी भी तरह की कोई भी अभद्रता नहीं की जानी चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से पेरित होकर सविनय अवज्ञा की जाएगी। इसके लिए आप कोई भी जानकारी न दें।
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