स्पेशल डेस्क
लखनऊ। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह होना अब और मुश्किल लग रहा है। जहां एक ओर अखिलेश यादव अपने चाचा को दोबारा साईकिल पर बैठाने के लिए उकसा रहे हैं तो दूसरी ओर शिवपाल यादव अपना नया घर छोड़कर पुराने घर में लौटने को तैयार नहीं है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी नामक उनकी पार्टी सपा का विकल्प बनने की कोशिशों में लगी हुई है।

आलम तो यह है कि सपा का वोट बैंक इस पार्टी के आने से अच्छा-खासा कटता नजर आ रहा है। शिवपाल खेमे से अब यह भी जानकारी आ रही है कि वह 2020 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी सपा से किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी।
ऐसे में सपा के लिए बहुत बड़ा झटका है। शिवपाल यादव ने जहां एक ओर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समान विचारधारा वाले दलों को साथ रखना चाहते हैं तो दूसरी ओर सपा से दूरी बनाने की तैयारी में नजर आ रहे हैं। शिवपाल की इस इशारे से सपा को भारी नुकसान होना तय लग रहा है। इतना ही नहीं सपा को शिवपाल के खेमे से तगड़ा झटका लगा है।
बता दें कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच में रार तब शुरू हुई जब अखिलेश यादव के दूसरे चाचा राम गोपाल यादव ने तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को सपा अध्यक्ष पद से हटाकर खुद अखिलेश यादव को बना दिया गया। इसके बाद से ही शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच में मनमुटाव शुरू हो गया।
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