न्यूज डेस्क
एनडीए से अलग हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अपना प्रभाव पूर्वांचल की कई सीटों पर छोड़ा है। भाजपा से बगावत कर लोकसभा चुनाव में उतरी सुभासपा सात सीटों पर तीसरा स्थान बनाने में कामयाब रही। इनमे से कई सीटों पर तो देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस को पछाड़ दिया है। सलेमपुर में कांग्रेस प्रत्याशी व वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा सुभासपा के वोटों मे सेंध नहीं लगा पाए और चौथे स्थान पर रहे।
पूर्वांचल के राजभर समाज पर दावा कर सुभासपा पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन करने में सफल रही। इसी का नतीजा था कि गठबंधन में पार्टी को पूर्वांचल में आठ सीटें मिलीं। 2017 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सुभासपा मुख्या प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। लेकिन लोकसभा चुनाव में सीटों के बटवारे में बात नहीं बनी तो पूर्वांचल के 22 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और कुछ सीटों पर बीजेपी का समीकरण बिगड़ने में सफल भी रहे।
पार्टी के महासचिव अरविन्द राजभर ने बताया की जिन सीटों पर उनकी वजह से बीजेपी का वोट बिगड़ा है उनमे घोसी, गाजीपुर, मछलीशहर और चंदौली है। घोसी और गाजीपुर भाजपा के खाते से बाहर हो गयी तो मछलीशहर और चंदौली में जीत का अंतर कम हो गया। उन्होंने बताया कि पार्टी इस बात से सबसे ज्यादा खुश नजर आ रही है कि वह आधा दर्जन से अधिक सीटों पर कांग्रेस से आगे निकली और तीसरा स्थान बनाकर ताकत दिखायी है।
बता दें कि 2017 में बीजेपी की सहयोगी दल के रूप में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की। विधानसभा जीतने के बाद सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का हौसला बुलंद हो गया। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा की भांति करिश्मा दिखायेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी से बगावत राजभर को भारी पड़ गया। दरअसल जनता का मिजाज राजभर भी नहीं समझ पाए। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि एक बार मोदी का जादू चलेगा।
इन सीटों पर रही तीसरे स्थान पर

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