न्यूज़ डेस्क
पदमश्री से सम्मानित और पूर्वांचल से लेकर बिहार तक अपनी लोकगायकी से लाखों के दिलों में बसने वाले हीरा लाल यादव का रविवार सुबह निधन हो गया। वह करीब 83 वर्ष के थे। हीरा लाल यादव लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। हुकुलगंज स्थित आवास पर आज सुबह करीब 10 बजे उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी श्रीमती श्यामा देवी भी बीमार चल रही है। हीरालाल को यश भारती से सम्मानित किया गया था। अभी बीते कुछ महीने पहले ही हीरालाल यादव जी को पदमश्री से भी सम्मानित किया गया था।
हीरा लाल यादव को इस वर्ष (2019) में गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 16 मार्च को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म अलंकार प्रदान किया था। बीमार होने के बाद भी वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। जहां प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री ने पास पहुंचकर उनका आशीर्वाद लिया था।
वहीं दूसरी और हीरालाल के निधन की सूचना से शोक की लहर फैल गयी है। कई लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर संवेदना प्रकट की। भाजपा उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी सुनील ओझा ने कहा कि काशी से अपने एक सच्चे लाल को खो दिया। इसके अलावा उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि देश की लोकगायकी में कोई दूसरा हीरा नहीं मिल सकता।
कौन हैं हीरालाल यादव
हीरालाल यादव मूलरूप से वाराणसी में हरहुआ ब्लॉक के बेलवरिया के रहने वाले थे उनका जन्म वर्ष 1936 में चेतगंज स्थित सरायगोवर्धन में हुआ। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा, भैंस चराने के दौरान शौकिया गाते-गाते अपनी सशक्त गायकी से बिरहा को आज राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई और बिरहा सम्राट के रूप में ख्यात हुए। यह कठोर स्वर साधना का प्रतिफल तो रहा ही गुरु रम्मन दास, होरी व गाटर खलीफा जैसे गुरुओं का आशीर्वाद भी इसमें शामिल रहा।
उन्होंने वर्ष 1962 से आकाशवाणी व दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को अपना दीवाना बनाया। भक्ति रस में पगे लोकगीत और कजरी पर भी श्रोताओं को खूब झुमाया, वहीं गायकी में शास्त्रीय पुट ने बिरहा गायन को विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई है।
मिलें कई सम्मान
उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 93-94 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान और 2014 में यशभारती के साथ ही विश्व भोजपुरी अकादमी का भिखारी ठाकुर सम्मान व रवींद्र नाथ टैगोर सम्मान भी मिला था। इसके अलावा 2019 में उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
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