- फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा-रिफंड में फंसी 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि को तुरंत जारी करें सरकार
- लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
- फिक्की की अध्यक्ष ने वित्त मंत्री सीतारमण को लिखे एक लेटर में की ये मांग
न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। अभी भी तालाबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। उद्योगपति से लेकर अर्थशास्त्री लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं। जहां सोमवार को उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ता तो अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती होगा तो वहीं फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर विभिन्न भुगतान और रिफंड में फंसी 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि को तुरंत जारी करने की मांग की है।
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने वित्त मंत्री के लिखे पत्र में कहा है कि सबके सामने सबसे बड़ी समस्या नकदी की है और इसके त्वरित निदान के लिए सबसे पहले सरकार द्वारा किए जाने वाले विभिन्न भुगतान और रिफंड में फंसी 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि को तुरंत जारी करने की आवश्यकता है।
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कोरोना महामारी और तालाबंदी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। इससे इकोनॉमी को उबारने के लिए 4.5 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय सहयोग की जरूरत है। इंडस्ट्री चैंबर फिक्की ने यह अनुमान पेश करते हुए मांग की है कि विभिन्न सरकारी भुगतानों और रिफंड में फंसे ढाई लाख करोड़ रुपये तुरंत जारी किया जाए.
पत्र में रेड्डी ने कहा है कि मध्यम अवधि में कई टुकड़ों में यह राशि दी जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री से इनोवेशन, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में आए मौजूदा व्यवधान के बीच उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक आत्म-निर्भरता कोष बनाने पर भी जोर दिया है।
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रेड्डी ने मौजूदा हालात में सरकार से तुरंत सहायता दिए जाने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि , इस राशि के लिए बजट में पहले ही प्रावधान किया गया होगा। वंचित तबके के लिए अतिरिक्त वित्तीय समर्थन की भी आवश्यकता है। यह समर्थन गरीब कल्याण योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही सहायता से अलग होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्यमों को फिर से पटरी पर लाने के लिए राजकोषीय समर्थन की आवश्यकता है। इसके अलावा मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के ढांचे को उन्नत बनाने के के लिए भी फंड की जरूरत है।
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