जुबिली न्यूज डेस्क
बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का मन विपक्ष के लिए चुनौती बना हुआ है, जिसको लेकर सभी विपक्षी राजनैतिक दल इंडिया गठबंधन के माध्यम से इस लड़ाई को लड़ना चाह रहे थे. हालंकि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन को झटका देने के बाद मानों सियासी भूचाल सा आ गया था और उसके बाद गठबंधन हर दिन कुछ ढीला होता चला गया.

इंडिया गठबंधन में फिर चाहे ममता बनर्जी हो या बीएसपी सुप्रीमो मायावती या आरएलडी कुछ बीजेपी से हाथ मिलाते नजर आए तो कुछ ने एकला चलो की नीति अपना ली ऐसे में यूपी की 80 सीटों पर जहां बीजेपी मजबूती के साथ तैयारी कर रही है तो वहीं सपा ने लोकसभा सीट को लेकर यूपी की 16 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम भी घोषित कर दिए थे.
जिसको लेकर सपा और कांग्रेस के बीच हुई चर्चाओं ने ऐसे में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन की उम्मीद अभी भी बनी हुई है. लेकिन ये सपा और कांग्रेस के बीच यूपी की 80 सीटों में होने वाले गठबंधन के बीच कांग्रेस की 21 सीटों की मांग का पेंच फंसा हुआ है जिसके चलते गठबंधन साफ नहीं हो पा रहा है.
क्या है 21 सीटों का पेंच
दरअसल 2009 में कांग्रेस ने यूपी की जिन 21 सीटों पर जीत हासिल की थी कांग्रेस उन 21 सीटों पर सपा से मांग कर गठबंधन करना चाहती है. क्योंकि कांग्रेस को उम्मीद है कि जहां कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुकी है. अगर वहां सपा और कांग्रेस से हुए गठबंधन के चलते चुनाव लड़ा जाए तो जीत सुनिश्चित हो सकती है और गठबंधन के चलते सपा का वोट बैंक कांग्रेस के लिए जीत में कारगर भी साबित हो सकता है.
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कांग्रेस और सपा के बीच इन 21 सीटों को लेकर पिक्चर साफ हो सकती है. हालांकि कांग्रेस के सबसे मजबूत सीट कानपुर लोकसभा जिसपर कांग्रेस नेता और पूर्व कोयलामंत्री प्रकाश जायसवाल ने तीन बार जीत हासिल की थी, उस पर सपा ने कोई भी प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं किया है.
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