
न्यूज डेस्क
पिछले कई दिनों से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और प्रो. फिरोज खान चर्चा में हैं। फिरोज खान की नियुक्ति के मामले में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था संस्कृत भारती ने बड़ा बयान दिया है।
संस्था संस्कृत भारती ने 22 नवंबर को बीएचयू के संस्कृत विभाग में सहायक प्रोफेसर फिरोज खान का समर्थन करते हुए सवाल किया कि मुसलमान के संस्कृत पढ़ाने में गलत क्या है?
मालूम हो कि आरएसएस का छात्र मोर्चा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) बीएचयू के ‘संस्कृत विद्या धर्म संकाय’ में प्रो. खान की नियुक्ति का विरोध कर रहा है, लेकिन बीएचयू ने खान का समर्थन किया है। हालांकि प्रोफेसर खान अभी तक कोई कक्षा नहीं ले सके हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय में सिर्फ एक हिन्दू ही संस्कृत पढ़ा सकता है।
संस्था संस्कृत भारती का कहना है कि संस्कृत भारती पूरी दुनिया को संस्कृत भाषा सिखाने में जुटी है और अरब देशों में भी सक्रिय है। संगठन ने कहा कि उसके साथ जुड़े लोग ‘पाठयेम संस्कृतं जगति सर्व मानवान’ यानी दुनिया के सभी लोगों को संस्कृत की शिक्षा देनी है के उद्देश्य के साथ काम कर रहे हैं। एक बयान में संगठन ने कहा, ”डॉक्टर फिरोज खान उन हजारों लोगों में से हैं जिन्हें हमने प्रशिक्षित किया है।”
संस्कृत भारती संगठन ने नियुक्ति का विरोध नहीं करने का अनुरोध किया है। छात्रों से संस्कृत भारती ने पूछा, ”एक मुसलमान के साहित्य पढ़ाने में क्या गलत है?” कहा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जो सभी को जोड़ती है। सभी को उससे नई दिशा मिलती है। संस्कृत विश्व भाषा है। संगठन ने फिरोज खान से अनुरोध किया है कि वह ”निडर होकर विश्वविद्यालय को अपना योगदान दें।” हालांकि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने शुक्रवार को अपना धरना समाप्त कर दिया।
मालूम हो कि प्रो. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर पिछले कई दिनों से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। छात्र एक मुसलमान शिक्षक से संस्कृत पढऩे से मना कर रहे हैं। इसको लेकर परिसर में पठन-पाठन भी बाधित हो रही है। हालांकि बीएचयू का एक वर्ग छात्रों के विरोध को गलत बता रहा है। उनका कहना है कि शिक्षक जाति-धर्म से ऊपर होता है।
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