Saturday - 6 January 2024 - 11:52 PM

राजदरबार : यूपी की अफसरशाही का लफ्फाज कौन

राजेन्द्र कुमार

“वक्त” सही गलत की पहचान करा देता है। दोस्त और दुश्मन की पहचान कैसे वक्त कराता है? इसे लेकर तमाम कहावतें प्रचलित हैं। लेकिन हम उन कहावतों की चर्चा नही करेंगे। हम तों बात करेंगे कोरोना के चलते घोषित हुए 21 दिनों के लंबे लॉकडाउन के शुरुआती दस दिनों की।

यह दस दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बहुत अनोखे -अनोखे अनुभव हुए। इन दस दिनों के वक्त में मुख्यमंत्री ने अपनी नौकरशाही के कामकाजी अफसरों के बारे में इतना कुछ जान लिया, जो वह बीते तीन सालों में नही जान सके थे। मात्र दस दिनों में उन्होंने जान लिया कि कौन आला अफसर लफ्फाज है? और कौन कामकाजी? कौन अधिकारी अपने मातहतों पर कितना आश्रित है? और किस अधिकारी को अपने विभाग के बारे में पूरी जानकारी है?

 

विभाग के सारे आंकड़े किस नौकरशाह को पता हैं? और कौन अधिकारी बढ़चढ़ कर उनकी बातों को बिना तर्क किये हुए मान लेता है? और कौन अधिकारी ऐसा है जो बिना भय के उचित सलाह उनके सामने रखता है? यह सब मुख्यमंत्री ने जाना अपने आवास पर होने वाली 11 कमेटियों के अफसरों के साथ होने वाली बैठकों तथा जिलों के अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात करने के दौरान।

इन्ही बैठकों में मुख्यमंत्री ने ये भी जाना कि उनके अपने सचिवालय के आला अफसर कैसे अपनी काबिलियत के साथ टोटकों पर भी विश्वास करते हैं। ज्योतिष की सलाह और रंग विज्ञान के आधार पर कपड़े पहनते हैं। यह जानना उनके लिए इसलिए भी आसान हुआ क्योंकि उनकी बैठकों में तीन आला अफसर और एक गैर अधिकारी रोज ही रंग विज्ञान का पालन करते हुए शर्ट पहने कर आते थे।

अपने अफसरों की इस आदत को जानने का अलावा मुख्य मंत्री ने जिलों में तैनात कई डीएम और पुलिस कप्तानों तथा अन्य अफसरों के भेष बदलने का कला को भी परिचित हुए। एक डीएम और पुलिस कप्तान के भेष बदलकर जनता के बीच जाने को लेकर मुख्यमंत्री ने तारीफ़ भी की।

फिलहाल इन दस दिनों में मुख्यमंत्री ने अपनी नौकरशाहों की क्षमताओं को भलीभांति पहचाना लिया है। जिसका नतीजा यह है कि मुख्यमंत्री अब बेधडक होकर अधिकारियों को निर्देश दे रहें। है और उनके आदेशों पर 24 घंटे की भीतर अमल भी हो रहा है। क्योंकि मुख्यमंत्री ने यह संदेश दे दिया है कि वह नौकरशाहों की हर फितरत को पहचान गए हैं। इसलिए अब अफसर को काम करके दिखाना होगा और कानून का पालना करना होगा। अब चाटुकारिता से काम नही चलेगा

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।)

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