जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए गए मकानों के विध्वंस पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी नाखुशी जाहिर की और इसे ‘‘चौंकाने वाला और गलत संदेश’’ देने वाली कार्रवाई बताया। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले पर आपत्ति जताई और कहा कि जो मकान ध्वस्त किए गए हैं, उन्हें फिर से बनवाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-21 की याद दिलाते हुए कहा, ‘‘यह कार्रवाई चौंकाने वाली और गलत संदेश भेजती है। इसे ठीक करने की जरूरत है। आप बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के मकानों को ध्वस्त कर रहे हैं। हम जानते हैं कि इस तरह के तकनीकी मुद्दों से कैसे निपटना है, लेकिन अंततः यह संविधान के अनुच्छेद 21 और आश्रय के अधिकार से जुड़ा मामला है।’’
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उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को विध्वंस नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था। वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने यह सोचकर मकान गिराए थे कि जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद की है, जो 2023 में मारा गया था।
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