Friday - 5 January 2024 - 7:38 PM

यूपी बन गया है सरकारी हिंसा का “इपी सेंटर”, यशवंत सिन्हा का योगी पर हमला

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि केंद्र सरकार ने पिछले कुछ समय से ऐसे कदम उठाए हैं जिसकी वजह से देश में भय का माहौल है और हर तरफ एक कोलाहल सुनाई दे रहा है।

पूरे देश में भय से आक्रांत लोगों का प्रदर्शन जारी है। महिलाएं और बच्चे प्रदर्शन के लिए सड़क पर हैं। एक चुनी हुई सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनकी बात सुने। उनकी समस्याओं और उनके डर का निदान दे। उनका भय को खत्म करे। लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। शांतिपूर्ण विरोध का दमन किया जा रहा है। इस पूरे परिदृश्य में सबसे खराब तस्वीर बनी है उत्तर प्रदेश की, जो सरकारी दमन का प्रमुख केंद्र बन गया है।

गांधी शांति यात्रा के क्रम में लखनऊ पहुंचे सिन्हा ने समाजवादी पार्टी के मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि 9 जनवरी से शुरू हुई ये यात्रा 30 जनवरी को दिल्ली में राजघाट पर समाप्त हो जाएगी। लेकिन देश में शांति के लिए शुरू हुआ ये संघर्ष रुकेगा नहीं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग शहरों में महिलाओं के विरोध को सरकारी मौन से दबाया नहीं जा सकता।

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महिलाएं और बच्चों का ये संघर्ष जरूर कामयाब होगा। उनका ये संघर्ष क्या स्वरूप लेगा, ये कब तक चलेगा यह तो नहीं बता सकता लेकिन यह तय है कि ऐसे आंदोलन के सामने सरकारें झुकती रही हैं। इस आंदोलन का भविष्य जो हो पर ये तय है कि सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध के लिए खड़ा ये आंदोलन आखिरकार सरकार को झुकने पर मजबूर करेगा।

पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश में बजट आने वाला है और इस वक्त हमें देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बात करनी चाहिए थी लेकिन आज हमें सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर बहस में उलझा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की जिद और अदूरदर्शिता की वजह से देश दिवालिया हो चुका है। इस सरकार ने रिजर्व बैंक के 170 हजार करोड़ को लूटकर कुछ खास उद्योगपतियों के 145 हजार करोड़ का कॉरपोरेट टैक्स छूट देकर देश के दिवालिएपन को पुख्ता कर दिया है।

सिन्हा ने कहा कि सीएए को लाने के पीछे सरकार की नीयत बिल्कुल साफ है। वह इस तरह के मुद्दे लाकर देश का ध्यान भटकाने और समाज को उलझाने की कोशिश में जुटी है। इसी शहर में देश के गृहमंत्री आकर जब ये कहते हैं कि डंके की चोट पर वे यह सब करना चाहते हैं, तो उनकी मंशा समझ में आती है। सत्ता का घमंड कि हम कुछ भी कर सकते हैं। यह लोकतंत्र की भाषा नहीं हो सकती।

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उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर मेरा नजरिया बिल्कुल साफ है। यह संविधान की मौलिक ढांचे के विपरीत है। दूसरी बात इस कानून की जरूरत ही नहीं थी। पहले से मौजूद कानून में सरकार के पास पूरे अधिकार थे कि वह अपने विवेक से अन्य देश के नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता के विकल्प पर विचार कर सकती थी। लेकिन ऐसा करने की बजाय सरकार ने इसके जरिए टकराव का रास्ता चुना ताकि वोट की पालिटिक्स को धार दे सके। सिन्हा ने कहा कि इस कानून को लागू करने में अभी कई अड़चनें हैं और सरकार की मंशा इसे लागू करने की है भी नहीं।

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