अशोक बांबी
उत्तर प्रदेश की टीम के लिए यह एक अहम सवाल है कि क्या वह इस बार रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट दौर में प्रवेश कर पाएगी, या पिछले वर्षों की तरह बाहर रह जाएगी।
क्रिकेट प्रेमियों और खिलाड़ियों की उम्मीदें इस पर टिकी हैं, जबकि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के कुछ पदाधिकारी शायद टीम की सफलता को लेकर गंभीर नहीं दिखते।
वर्तमान परिस्थितियों में नॉकआउट में पहुंचना प्रदेश की टीम के लिए चुनौतीपूर्ण है। पांच मैचों के बाद उत्तर प्रदेश 17 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है, जबकि विदर्भ और आंध्र प्रदेश क्रमशः 25 और 22 अंकों के साथ पहले दो स्थानों पर काबिज हैं। झारखंड 18 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है। रणजी ट्रॉफी के मैचों को फिलहाल विराम दे दिया गया है, और आगामी दो मैच जनवरी 2026 में खेले जाएंगे।

22 जनवरी को उत्तर प्रदेश का पहला मैच तीसरे स्थान पर काबिज झारखंड से और दूसरा मैच शीर्ष स्थान पर विदर्भ से होगा। टीम को नॉकआउट में प्रवेश के लिए दोनों मैच जीतने होंगे, अन्यथा राह कठिन होगी।
दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश को विदर्भ और नागालैंड के खिलाफ खेलना है; मान लें कि विदर्भ से हार होती है, तब भी नागालैंड के खिलाफ जीत और बोनस अंक सुनिश्चित हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश की टीम को मजबूत बनाने के लिए चयन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और खिलाड़ी की योग्यता पर जोर होना चाहिए।
चयन में पक्षपात, सिफारिश या बाहरी दबाव टीम की कमजोरी का कारण बनते हैं। जब तक योग्य खिलाड़ियों का चयन बिना हस्तक्षेप के नहीं होगा, टीम का प्रदर्शन प्रभावित होता रहेगा।
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