
जुबिली न्यूज़ डेस्क
समाजसेवी मधु किश्वर ने एक याचिका दाखिल करके पूर्व CJI रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई है। किश्वर की याचिका में रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने, कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तय करने की भी मांग की गई है।
किश्वर ने अपनी याचिका में कहा है कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ संविधान का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसमें नामांकन को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला’ कहा जाता है।
इससे पूर्व मंगलवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा में नामित करने के फैसले पर उनके पूर्व सहयोगी जस्टिस ने ही सवाल उठाए थे। इन सवालों के पीछे उनके अयोध्या और राफेल मामलों पर सुनाए गए फैसले हैं।
जस्टिस गोगोई के राज्यसभा में नामित होने के लेकर उनके पूर्व सहयोगियों ने भी सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है।
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बता दें कि रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं जिन्होंने उस समय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके पर पक्षपात के आरोप लगाए थे। इसके बाद रंजन गोगोई एक तरह से नायक बनकर सामने आए क्योंकि माना जा रहा था कि इसके बाद वह देश का प्रधान न्यायाधीश बनने का मौका खो सकते हैं। इन चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक तरह से मोदी सरकार को भी लपेट रही थी और यह पीएम मोदी के आलोचकों के लिए एक तरह से हथियार साबित हुई।
बता दें की मधु किश्वर को मोदी समर्थक माना जाता रहा है और वो खुद भी दक्षिणपंथी विचारधारा रखती है।
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