राजनीति सूत्र बता रहे हैें कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कांग्रेस के चुनावी मैनेमेंट को देख रहे हैं तो दूसरी तरफ सीएम सिद्धारमैया तेलंगाना के ओबीसी वोटों पर काम कर रहे हैं जबकि खरगे दलित और आदिवासी वोटों को कैसे कांग्रेस की तरफ किया जाये इसपर काम कर रहे हैं…
जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। देश में इन दिनों पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में वोटिंग हो चुकी है और उनका परिणाम तीन दिसंबर को आने वाला है जबकि तेलंगाना में भी मतदान होने वाला है।
कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बनने की उम्मीद लगा रही है जबकि उसको पूरा भरोसा है कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसकी सरकार दोबारा बनेगी। ऐसे में तेलंगाना विधानसभा चुनाव का प्रचार मंगलवार को थम गया और वहां पर गुरुवार को वोटिंग होगी।
तेलंगाना में कांग्रेस जीत का दम भ रही है और उसे 119 सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।कांग्रेस और बीआरएस के बीच सीधी लड़ाई है तो बीजेपी भी लड़ाई में बनी हुई है। त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्र्रेस को जीत की अब भी पूरी उम्मीद है। दरअसल उसने छह महीने पहले जिस सियासी फॉर्मूले को यहां पर अपनाने की कोशिश की है।

उसने किस तरह से कर्नाटक में बीजेपी को पराजित किया था उसी तरह से यहां पर तेलंगाना में बीआरएस को मात देने के लिए खास रणनीति बनाई है। तेलंगाना में कांग्रेस ने उन लोगों को भेजा है जो कर्नाटक में जीत दिलाने में अहम रोल अदा कर चुके हैं।
उनमें कर्नाटक में जीत के नायक सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सहित 75 फीसदी कर्नाटक के मंत्रियों-नेताओं ने तेलंगाना में खास जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस ने अब वहीं रणनीति अपनायी जो उसने कर्नाटक चुनाव में अपनाकर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस का पूरा फोकस कम से कम 75 सीट जीतना ताकि आसानी से सरकार बनायी जा सके। इसको लेकर वहां पर कांग्रेस पूरा कुनबा जुटा है और लगातार रणनीति बना रहा है। कांग्रेस को भरोसा है कि वहां पर वो सरकार बनाने में कामयाब होगा वहीं बीजेपी भी कांग्रेेस को रोकने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
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