Sunday - 8 June 2025 - 8:58 PM

आखिर क्यों जरूरी है बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर?

लखनऊ/मथुरा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने की दिशा में काम कर रही है। यह कॉरिडोर वर्षों से श्रद्धालुओं की मांग रही है। श्री बांके बिहारी मंदिर घनी आबादी और संकरी गलियों के बीच स्थित है।

श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए कुंज गलियों से गुजरना पड़ता है, जो न केवल असुविधाजनक है बल्कि भीड़भाड़ के चलते कई बार अव्यवस्था और दुर्घटनाओं का कारण भी बनता रहा है।

होल्डिंग एरिया, शौचालय, आपातकालीन मार्ग, परिक्रमा व्यवस्था जैसी आवश्यक जनसुविधाओं का भी घोर अभाव है। श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या के अनुपात में यह स्थान अत्यंत अपर्याप्त है।

यही नहीं, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 1939 में ही सिविल कोर्ट की ओर से यहां रिसीवर की नियुक्ति हुई थी, लेकिन रिसीवर की अनुपस्थिति में यहां श्रद्धालुओं को घोर अव्यवस्था और शोषण का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, रास्ते में पड़ने वाले जर्जर भवन भी हादसों की वजह बन चुके हैं।

ऐसे में यह कॉरिडोर जन सुविधा और समय की अनिवार्यता बन गया है। कॉरिडोर बनने से न सिर्फ सुविधा बढ़ेगी, बल्कि श्रद्धालुओं की संख्या में भी व्यापक इजाफा होगा जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर और व्यापार की संभावनाएं दोनों बढ़ेंगी।

कॉरिडोर को लेकर प्रतिबद्ध है सरकार

वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में देश-विदेश से दर्शन को आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए अब काशी, अयोध्या और विंध्याचल की तर्ज पर विश्व स्तरीय मंदिर कॉरिडोर के निर्माण की दिशा में एक बड़ी पहल शुरू हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद योगी सरकार श्रद्धालुओं की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए तेजी से काम में जुट गई है, ताकि भक्त अपने आराध्य के सहज, सुरक्षित और गरिमामय दर्शन कर सकें।

कॉरिडोर निर्माण की इस पहल को समाज के विभिन्न वर्गों, सेवायतों, जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, स्थानीय नागरिकों और कलाकारों का व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है।

सोशल मीडिया पर भी सरकार को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कॉरिडोर निर्माण के निर्देश दिए जाने के बाद राज्य सरकार ने मंदिर के आसपास लगभग 5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय मंदिर क्षेत्र में व्यवस्थित, सुरक्षित और सुगम दर्शन सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। तंग गलियों की जगह चौड़े मार्ग, सुविधाजनक प्रवेश और सुगठित भीड़ प्रबंधन श्रद्धालुओं को एक नया अनुभव प्रदान करेगा। इससे और अधिक श्रद्धालु बांके बिहारी के दर्शनों को आएंगे। पर्यटन बढ़ेगा तो रोजगार के नए-नए अवसर सृजित होंगे। व्यापारियों की आय में भी गुणात्मक वृद्धि होगी और आय के नए-नए स्रोत बनेंगे।

अव्यवस्था से मिलेगी मुक्ति

बांके बिहारी मंदिर में 1939 से ही सिविल कोर्ट ने रिसीवर को तैनात कर रखा है, लेकिन सामान्यतः यहां रिसीवर अनुपस्थित ही रहते हैं। ऐसे में मंदिर का सारा काम गोस्वामी और यहां के सेवायत ही देखते हैं।

कई श्रद्धालुओं का आरोप है कि मंदिर प्रांगण और आसपास के क्षेत्र में इनके कारण अव्यवस्था और शोषण का शिकार होना पड़ता है।

कई बार देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से भी की है। जिस तरह से हाल के दिनों में यहां भारी भीड़ उमड़ रही है, हर हफ्ते ही श्रद्धालुओं के साथ इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं।

इसके अतिरिक्त बांके बिहारी मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले भवन भी काफी जर्जर हैं, जिसके चलते कई बार हादसे हो चुके हैं। श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर इन सारे विवादों का हल हो सकता है।

श्रद्धालुओं को मिलेंगी आधुनिक सुविधाएं

कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय, विश्राम स्थल, लॉकर, चिकित्सा केंद्र, कंट्रोल रूम, सुरक्षा व्यवस्था और सुगम दर्शन प्रणाली जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

वृद्धजनों और महिलाओं को जो असुविधाएं वर्तमान में होती हैं, वे दूर होंगी और हर वर्ग के भक्त को सहज, सम्मानजनक दर्शन सुलभ हो सकेंगे।

कॉरिडोर निर्माण से मथुरा-वृंदावन के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को नया आयाम मिलेगा। इससे देश-विदेश से श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में चार गुना तक वृद्धि की संभावना है। इसका सीधा लाभ स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों, परिवहन, सेवाक्षेत्र और रोजगार से जुड़े नागरिकों को मिलेगा। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति और मजबूती मिलेगी।

दुकानदारों के लिए समुचित व्यवस्थापन

सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ निर्देश दिया है कि कॉरिडोर बनाने का काम शासन का है न कि कोर्ट का। ऐसे में प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं के साथ-साथ मंदिर से जुड़े और आसपास के लोगों के हितों का भी ध्यान रखकर आगे कदम बढ़ा रही है।

इस दिशा में बातचीत कर समन्वय से एक विचार के साथ आगे बढ़ने की नीति पर काम हो रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मंदिर के आसपास की दुकानों को हटाए जाने की प्रक्रिया पुनर्वास नहीं, बल्कि व्यवस्थापन की नीति पर आधारित होगी। प्रभावित दुकानदारों को समुचित मुआवजा, वैकल्पिक दुकानें या आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा, और व्यापारियों को नई दुकानों में बेहतर अवसर और बढ़ता ग्राहक आधार मिलेगा।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कॉरिडोर निर्माण केवल आधारभूत संरचना तक सीमित रहेगा। मंदिर के आंतरिक धार्मिक स्वरूप, परंपराएं और सेवायतों की भूमिका में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। गोस्वामी समाज की परंपरा, अधिकार और सेवाएं पूर्ववत बनी रहेंगी।

सेवायतों और कलाकारों की सकारात्मक पहल

कॉरिडोर परियोजना को लेकर सेवायत समाज का भी सरकार को पूर्ण समर्थन मिल रहा है। श्री बांके बिहारी मंदिर के पुजारी दिनेश गोस्वामी ने इस पहल को वृंदावन के विकास के लिए आवश्यक बताया है।

उन्होंने सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का समर्थन करते हुए कहा कि कॉरिडोर और मंदिर न्यास, दोनों वृंदावन की भव्यता और दिव्यता को बढ़ाने वाले हैं।

वहीं ‘महाभारत’ धारावाहिक में अर्जुन की भूमिका निभाने वाले फिरोज खान ने एक वीडियो संदेश जारी कर वृंदावन वासियों से अपील की है कि वे सरकार की इस ऐतिहासिक पहल में सहयोग करें और बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण को सफल बनाने में सहभागी बनें।

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