Thursday - 11 January 2024 - 4:52 PM

दुनिया के इन देशों में कोरोना का कोई केस क्यों नहीं है?

न्यूज डेस्क

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के 180 से ज्यादा देश कोरोना के चपेट में हैं। वर्तमान में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, ईरान है। बाकी अन्य देशों में संक्रमण बढ़ रहा है। कोरोना किस तरह दुनिया को नुकसान पहुंचा रही है उसको ऐसे समझा जा सकता है कि इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है। जहां कोरोना से दुनिया के अधिकांश देश प्रभावित हुए हैं वहीं कुछ ऐसे देश और इलाके हैं जहां कोरोना का संक्रमण अब तक नहीं पहुंचा है।

जी हां, दुनिया के कुछ ऐसे देश और इलाके हैं जहां कोरोना वायरस नहीं पहुंचा है। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के ताजा आंकड़ों अनुसार ग्लोब पर 40 ऐसी जगहों को चिह्नित किया गया है जहां अब तक कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है। कम से कम आधिकारिक तौर पर तो इसकी कोई सूचना नहीं है।

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प्रशांत महासागरीय द्वीप तुवालू हो या पूर्व सोवियत रिपब्लिक मुल्क तुर्कमेनिस्तान। इन दोनों के बीच एक बीच एक बात कॉमन यह है कि ये दोनों ही उन देशों और क्षेत्रों की सूची में शामिल हैं जहां एक अप्रैल तक कोरोना वायरस संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। अब सवाल उठता है कि आखिर इन देशों या इलाकों में कोई कोरोना का केस क्यों नहीं है। आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है?

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तुवालू, प्रशांत महासागर में हवाई और आस्ट्रेलिया के बीच स्थित एक पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है.

 

जानकारों की माने तो इसके कई कारण हो सकते हैं। बहुत से कारणों में से अगर कोई एक कारण बताएं तो वो ये हो सकता है कि ये जगहें काफी छोटी हैं और यहां जनसंख्या बहुत घनी नहीं है। अगर तुवालू की बात करें तो प्रशांत महासागर में हवाई और आस्ट्रेलिया के बीच स्थित एक पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है। इसके निकटवर्ती देश किरिबाती, समोआ और फिजी हैं। यह देश चार द्वीप और और पांच एटाल से मिलकर बना है। 12,373 लोगों की जनसंख्या के साथ यह दुनिया का तीसरा कम जनसंख्या वाला संप्रभु देश है। क्षेत्रफल के लिहाज से महज 26 वर्ग किमी के दायरे के साथ यह दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश है। लोगों की आमद भी यहां बेहद सीमित है।

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने जिन 40 जगहों का जिक्र किया है उसमें अधिकांश जगहें पर्यटन के लिए ही जानी जाती हैं। पिछले दो माह में कोरोना ने तेजी दुनिया के अधिकांश सुविधा सम्पन्न देशों में पांच पसारा है। ऐसे में संक्रमण रोकने के लिए अधिकांश देशों ने अपनी सीमाएं बंद कर दी और हवाई यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसीलिए ये जगहें लगभग कट सी गई हैं।

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तुर्कमेनिस्तान में तो कोरोना वायरस शब्द के इस्तेमाल पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है.

 

यदि तुर्कमेनिस्तान की बात करें तो यहां तो कोरोना वायरस का नाम लेना क्राइम की श्रेणी में आ गया है। तुर्कमेनिस्तान की सरकार ने ‘कोरोना वयारस’ शब्द पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही इस देश में मास्क लगाने पर भी प्रतिबंध लग गया है।

उत्तर कोरिया में भी कोरोना वायरस नहीं पहुंचा है। हालांकि उत्तर कोरिया की ओर से आया आधिकारिक बयान संदेह पैदा करता है।
जानकारों के मुताबिक संदेह इसलिए क्योंकि उत्तर कोरिया की ग्लोब पर जो अवस्थिति है वो दुनिया के उन देशों से घिरी हुई है जो कोरोना वायरस संकट से सबसे अधिक जूझ रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख नाम तो चीन का ही है, जहां से इस वायरस की शुरुआत हुई थी, लेकिन प्योंगयांग की ओर से अभी तक किसी एक भी कोविड 19 मामले की घोषणा नहीं की गई है।

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उत्तर कोरिया में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कुशासन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण बेहद ख़राब स्थिति में है.

 

ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि अगर उत्तर कोरिया में कोरोना महमारी उभरी तो यह बड़ी आसानी से उत्तर कोरिया की स्वास्थ्य प्रणाली को ध्वस्त कर देगी, क्योंकि यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कुशासन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण बेहद खराब स्थिति में है। उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु हथियारों का लगातार परीक्षण करने की वजह से कई प्रतिबंध लगे हुए हैं।

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यमन में अब भी युद्ध जारी है.

 

यमन में आधिकारिक रूप से कोरोना के किसी मामले की पुष्टि नहीं है। यहां अब भी युद्ध जारी है, जिसकी वजह से यहां टेस्ट करना और केस रजिस्टर करना अब भी एक चुनौती है।

कुछ अफ्रीकी देशों में भी अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इसे टेस्टिंग किट्स की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है।

अंटार्कटिका.

 

अब बात अंटार्कटिका की। यह एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहां कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं पाया गया है। ग्लोब पर इसकी स्थिति को अगर गौर से देखें तो यह पूरी दुनिया से थोड़ा कटा हुआ है। अलग-थलग है। अंटार्कटिका एक बेहद कम आबादी वाली जगह है जहां इंसानों की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सेंटर्स तक ही सीमित है।

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