जुबिली न्यूज डेस्क
तेलंगाना के मुसलमान वोटर किसे वोट करेंगे? कांग्रेस या के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस)। इस सवाल का जवाब ही तय करेगा कि तेलंगाना में कौन सत्ता में लौटेगा। तेलंगाना की 40 विधानसभा सीटों पर जीत-हार खुले तौर से मुसलमान वोटर तय करते हैं। तेलंगाना में 12.7 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो 2014 के पहले परंपरागत तौर पर कांग्रेस को वोट करते रहे। 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद केसीआर के साथ जुड़ गए।

बता दे कि केसीआर ने भी मुसलमानों के लिए आरक्षण और मौलानाओं को वेतन देने जैसी कई ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जिसमें उन्हें नकद सहायता दी जाती है। इसका असर यह रहा कि पिछले दो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर बीआरएस के पक्ष में ही खड़े दिखे। हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता कांग्रेस और बीआरएस के बीच बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
40 सीटों पर मुस्लिम वोटर तय करते हैं हार जीत
तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटें हैं और सत्ता हासिल करने के लिए 60 सीटों की जरूरत है। आंकड़े बताते हैं कि तेलंगाना की 29 सीटों पर मुस्लिम वोटरों की तादाद 15 फीसदी से अधिक है। हैदराबाद की सात सीटों पर मुसलमानों की आबादी 50 फीसदी के करीब है और इन सीटों पर असुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम का एकछत्र राज रहा है। बाकी बची 22 सीटें ग्रेटर हैदराबाद, निजामाबाद, जहीराबाद, करीमनगर, संगारेड्डी और आदिलाबाद में है। कुल मिलाकर 40 सीटों पर मुस्लिम वोटरों की पसंद से ही विधायक चुने जाते रहे हैं।
एआईएआईएम इस बार भी 9 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है यानी बाकी बची हुई सीटों पर बीआरएस की सत्ता की डोर मुस्लिम वोटरों के हाथ में है। केसीआर सरकार में डिप्टी सीएम और गृह मंत्री महमूद अली का दावा है कि 2014 के बाद से तेलंगाना में मुसलमानों की सुरक्षा बढ़ी। तेलंगाना में सांप्रदायिक हिंसा या दंगों की कोई घटना नहीं हुई है।
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