न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश का संभल एक बार फिर चर्चा में है। यहां के लोगों के बीच इस समय चर्चा का विषय है सनाउल। सनाउल को लेकर लोगों में गुस्से का भाव है। गुस्सा होना स्वाभाविक है, क्योंकि सनाउल कोई देशभक्त नहीं बल्कि आतंकवादी है।
संभल के मोहल्ला दीप सराय के लोग सनाउल के मौत की खबर से हैरान नहीं हैं, हां उन्हें अफसोस जरूर है कि एक प्रतिष्ठिïत परिवार से ताल्लुक रखने वाला आदमी आतंकवादी कैसे बन गया।
यहां के लोगों के अनुसार सनाउल का परिवार एक समय क्षेत्र का बहुत प्रतिष्ठित परिवार हुआ करता था। उसके दादा गांव के मुखिया थे। वहीं उसके पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी और परदादा ब्रिटिश राज के दौरान जिला मजिस्ट्रेट थे। सनाउल का भाई रिजवान संभल में अध्यापक है।
दरअसल सनाउल उर्फ आसिम उमर हक बीते दिनों एयर स्ट्राइक में मारा गया। वह भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का कमांडर था और 2015 से ही सुरक्षाबलों की सूची में मोस्ट वांटेड के तौर पर उसका नाम दर्ज था। अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी ने उसे अलकायदा कमांडर की जिम्मेदारी सौंपी थी।
सनाउल के भाई रिजवान के अनुसार, हमें 8 अक्टूबर को स्थानीय खुफिया अधिकारियों ने उसकी मौत के बारे में बताया। हालांकि यह हमारे लिए कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी। रिजवान ने कहा कि सनाउल 1998 में 18 साल की उम्र में हमें छोड़कर चला गया था और उसके बाद से हमारी उससे कभी बात नहीं हुई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इरफान उल हक और रुकैया का बेटा जो इस इलाके में कुछ साल पहले तक रहा करता था, उसे अल-जवाहिरी ने 2010 में अलकायदा का कमांडर बनाया था।
सनाउल की 70 वर्षीय मां रुकैया ने कहा कि वह हमारे लिए 2009 में ही मर गया था, जब खुफिया अधिकारियों ने हमें बताया कि वह आतंकी संगठन में शामिल हो गया है।
दरसअल 2009 में खुफिया एजेंट संभल में स्थित उनके घर पहुंचे थे और उन्हें बताया था कि उनका बेटा जिसे वह मृत समझ रहे थे, वह हकीकत में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान और अल-कायदा के लिए काम कर रहा है।
सनाउल के पिता जो उस समय 75 साल के थे उन्होंने तुरंत स्थानीय अखबारों में विज्ञापन छपवाकर खुद को उससे अलग कर लिया था। 2017 में उनकी मौत हो गई और इसके बाद उनके दो बेटों को पूछताछ के लिए खुफिया अधिकारियों ने उठा लिया। रुकैया ने मोहल्ला दीप सराय को हमेशा के लिए छोड़ दिया। पड़ोसियों के अनुसार उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में अपने बेटे के साथ रहेंगी जो इंजीनियर है।
परिवार के अनुसार सनाउल हक ने आठवी कक्षा तक पढ़ाई की थी। बताया जा रहा है कि उसने दारुल उलूम देवबंद से स्नातक किया था। हालांकि इस्लामिक मदरसे ने इस तरह की रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया है। दारुम उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा, ‘हमने अपने रिकॉर्ड्स को अच्छी तरह से खंगाला है और हमें सनाउल हक नाम का कोई छात्र नहीं मिला।’
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
