Friday - 12 January 2024 - 7:50 PM

मोदी सरकार की आलोचना में पूर्व आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने मोदी सरकार की आलोचना की है। उन्होंने अपनी नई किताब ‘ओवरड्राफ़्ट: सेविंग द इंडियन सेवर’ की रिलीज के दौरान इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC)  और केंद्रीय बैंक (RBI) की शक्तियों को कम करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है।

इस मौके पर पटेल ने कहा कि ऐसा करने से बैड लोन के खिलाफ साल 2014 से चलाई गई मुहिम को धक्का लगेगा और एनपीए की भरपाई करना मुश्किल होगा।

पूर्व गवर्नर ने अपनी में लिखा है लिखा है, “उच्चतम न्यायालय के अप्रैल 2019 के फैसले में केंद्रीय बैंक के फरवरी 2018 के एक दिवसीय डिफॉल्ट रिजोल्यूशन को समस्याग्रस्त नहीं बताया गया था। हालांकि, बाद में (7 जून, 2019 को) केंद्रीय बैंक के एक सर्कुलर ने उस पहलू को कमजोर बना दिया और दिवालियेपन शासन से जुड़े प्रावधान को भंगुर बना दिया है।”

पटेल ने लिखा है कि इसकी वजह से कई डिफॉल्टर के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी हुई और कई को दिवालियापन अदालतों की कार्रवाई से बचने में मदद मिली।

मालूम हो कि पटेल आरबीआई के तब गवर्नर थे, तब फरवरी 2018 में IBC सर्कुलर आया था। इस सर्कुलर की वजह से बैंकों को रिपेमेंट नहीं करने वाले कर्जदारों को तुरंत डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने को मजबूर किया जाना था और कई बड़े डिफॉल्टर्स को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लाया जाना था। इसके बाद पटेल ने दिसंबर 2018 में केंद्र सरकार के साथ अनबन होने पर रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था।

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पटेल ने लिखा है, “उच्चतम न्यायालय में रिजर्व बैंक का पक्ष रखने वाले वकील को अंतिम घड़ी में हटा दिया हया था। सुनवाई से चंद घंटे पहले रात में वकील को हटाए जाने से मामला साफ हो गया था। फरवरी 2018 के सर्कुलर को किनारे किए जाने के बाद दिवालियापन कानून कमजोर बन गया।”

सरकार के साथ अपने मतभेद पर पूर्व गवर्नर ने लिखा है कि 2018 के मध्य में IBC के प्रति दृष्टिकोण “प्रत्यक्ष रूप से बदल गया” – इसके बजाय जो लाभ और भविष्य में होने वाले लाभ का अनुमान लगाया गया था, उसने माहौल को आसान बना दिया।

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