न्यूज डेस्क
सूबे की सरकार गायों को देखभाल के लिए एक तरह के कानून बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी लगातार हो रही उनकी मौतों पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। प्रदेश के प्रयागराज’ में 35 से अधिक गायों की मौत हो गई। इस घटना से बहादुरपुर ब्लॉक के कांदी गांव में खलबली मच गई। इस घटना की वजह लोग अलग अलग बता रहे है। प्रशासन का कहना है कि गायों के रखरखाव को लेकर लापरवाही बरती जा रही है तो वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि आकाशी बिजली की वजह से इन गायों की मौत हुई है।
इस घटना को लेकर जिलाधिकारी भानू चन्द्र गोस्वामी ने प्रथमदृष्ट्या आकाशीय बिजली गिरने से मौत होने की बात कही है। वहीँ स्थानीय लोगों का कहन है कि जब से कांदी गांव में गौशाला का निर्माण के बाद से प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उनका कहना है कि यहां तीन दिन से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। इसके चलते गौशाला तालाब में तब्दील हो चुका है। कोई देखने वाला नहीं था। पानी बरसने से बने तालाब में दलदल में फंसकर गोवंशों की मौत हो गई।
पचास से ज्यादा गायों की मौत
प्रशासन द्वारा 35 गायें मरने के दावे के उलट स्थानीय लोगों का कहना है कि 52 बीघे में बने इस स्थानीय गौशाला में पिछले दो-तीन दिनों से लगातार बारिश की वजह से तालाब पानी से भर गया जिससे भूख और पानी में फंस कर पचास से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी थी।

वहीं कांदी गांव के प्रधान सचेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, यहां 356 गायें थीं जिसमें से 30-32 गायें मर गयी है। रात करीब ढाई बजे बिजली गिरी जिसके बाद मैं भागकर यहां आया हूं। बाकी बची गायों को पास की एक गौशाला में स्थानांतरित कराया गया है। मौके पर मौजूद अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) विजय शंकर दूबे ने कहा, वास्तव में आकाशीय बिजली गिरने से 22 जानवर तत्काल मर गए।
मौन रहे अपर जिलाधिकारी
यह पूछे जाने पर कि ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध होने के बावजूद इन गायों को तालाब में क्यों रखा गया, इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। इस गौशाला में कोई टिन शेड भी नहीं है और कई दिनों से ज्यादातर गायें खुले आसमान में बारिश में भीग रही थीं।
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