जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन (यूएवी) सप्लाई नेटवर्क से जुड़े भारत, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), तुर्की और अन्य क्षेत्रों के 32 संस्थानों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक़, यह कार्रवाई ईरान के मिसाइल और ड्रोन प्रोग्राम को समर्थन देने वाले नेटवर्क को कमजोर करने के उद्देश्य से की गई है। अमेरिका ने कहा कि इनमें से कई संस्थान इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के लिए काम कर रहे हैं।
आईआरजीसी क्या है?
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ईरान की एक प्रमुख सैन्य इकाई है, जो देश की धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। यह संगठन घरेलू अशांति से लेकर विदेशी खतरों तक से निपटने के लिए जाना जाता है और अमेरिका पहले भी इसे “आतंकी संगठन” घोषित कर चुका है।
यूएन प्रतिबंधों के समर्थन में उठाया गया कदम
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, यह कार्रवाई 27 सितंबर 2025 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा ईरान पर फिर से लगाए गए प्रतिबंधों के समर्थन में की गई है। यूएन ने ईरान पर लगाए गए 10 साल पुराने प्रतिबंधों को फिर से लागू किया है। ईरान पर यह कार्रवाई उसके परमाणु कार्यक्रम और हथियार निर्माण से जुड़ी गतिविधियों के चलते की गई है।
परमाणु समझौते के बाद हटे थे प्रतिबंध
2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) के बाद ईरान पर लगे कई आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध हटा दिए गए थे।
लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने हाल के महीनों में ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन निर्यात को लेकर चिंता जताई थी।
सितंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के खिलाफ व्यापक आर्थिक और सैन्य प्रतिबंधों को दोबारा लागू कर दिया, जिसके बाद अब अमेरिका ने यह एकतरफा प्रतिबंध कार्रवाई की है।
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अमेरिका का बयान
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा —“हम ईरान और उसके सहयोगियों के उन नेटवर्क्स को निशाना बनाते रहेंगे जो क्षेत्रीय अस्थिरता और वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।”
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