जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की नई ग्रूमिंग नीति ने धार्मिक समुदायों में बड़ी हलचल मचा दी है। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा जारी मेमो के अनुसार, सेना में धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखने की छूट अब लगभग समाप्त कर दी गई है। इसका मतलब है कि सिख, मुस्लिम और यहूदी जैसे धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखने वाले सैनिक अब अपनी सैन्य सेवा में चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
नई नीति की मुख्य बातें
-
सेना को 2010 से पहले के कठोर मानकों पर लौटने का आदेश।
-
दाढ़ी की धार्मिक छूट अब “सामान्यतः अनुमत नहीं” मानी जाएगी।
-
नीति केवल स्पेशल फोर्सेस के लिए अस्थायी छूट छोड़ती है, जो स्थानीय आबादी में घुलने-मिलने के लिए दी जाती है।
-
रक्षा सचिव हेगसेथ ने 30 सितंबर को मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में 800 वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा:“हमारे पास नॉर्डिक पगानों की सेना नहीं है।”
सिख समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया
इस फैसले ने सबसे पहले सिख समुदाय को झकझोर दिया।
-
सिख कोअलिशन ने इसे वर्षों की समावेशिता की लड़ाई के साथ विश्वासघात बताया।
-
सिख धर्म में केश (अकटे बाल) पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।
-
सिख सैनिकों का अमेरिकी सेना से जुड़ाव कोई नया नहीं है; 1917 में भगत सिंह थिंड पहले सिख थे जिन्हें पगड़ी पहनकर सेवा की अनुमति मिली।
-
अदालतों ने 2011, 2016 और 2022 में सिख सैनिकों के दाढ़ी और पगड़ी के अधिकारों की पुष्टि की।
सिख कोअलिशन का कहना है कि दाढ़ी रखना सैन्य सेवा में कोई बाधा नहीं है क्योंकि सिख सैनिक गैस मास्क टेस्ट पास कर चुके हैं।
मुस्लिम और यहूदी सैनिकों में भी असंतोष
नई नीति ने सिर्फ सिखों को नहीं, बल्कि मुस्लिम और ऑर्थोडॉक्स यहूदी सैनिकों को भी प्रभावित किया है।
-
मुस्लिम सैनिकों के लिए दाढ़ी रखना धार्मिक दायित्व है।
-
यहूदी सैनिकों के लिए यह पवित्र परंपरा का हिस्सा है।
-
CAIR ने रक्षा सचिव को पत्र लिखकर पूछा कि क्या इन सैनिकों की धार्मिक स्वतंत्रता सुरक्षित रहेगी।
अन्य समुदायों पर असर
-
काले सैनिक अक्सर “प्सूडो फॉलिकुलाइटिस बार्बे” नामक त्वचा रोग के कारण दाढ़ी रखने की चिकित्सकीय छूट पाते थे।
-
नई नीति के तहत यह छूट स्थायी नहीं रहेगी।
-
नॉर्स पगान सैनिकों ने भी कहा कि यह नीति उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है।
समावेशिता और विविधता पर सवाल
कई मानवाधिकार संगठन और धार्मिक समूह मानते हैं कि यह नीति अमेरिकी सेना की विविधता और समावेशिता की भावना के खिलाफ है।
-
2017 में जारी Army Directive 2017-03 में सिख, मुसलमान और यहूदियों के लिए स्थायी छूट दी गई थी।
-
नई नीति से धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और सेना में भरोसा प्रभावित हो सकता है।