जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों का चुनावी नतीजों आ चुके हैं और इसके बाद लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में बीजेपी का दबदबा देखने को मिल रहा है। ऐसे में आने वाले वक्त में विपक्षी इंडिया गठबंधन को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इतना ही नहीं कांग्रेस की तीन राज्यों में करारी शिकस्त से अब विपक्षी इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। इसका नतीजा हुआ कि तय समय होने वाले इंडिया गठबंधन की बैठक से अखिलेश यादव समेत कई दिग्गज नेताओं कन्नी काट ली है। इस वजह से बैठक को टालना पड़ा है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों में अब पूरी तरह से दरार देखने को मिल रही है। इतना ही नहीं दोनों अब एक दूसरे के खिलाफ बयान देते हुए नजर आ रहे हैं।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी। इसी के बाद अखिलेश यादव कांग्रेस से काफी नाराज चल रहे हैं और माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं तो दूसरी तरफ सपा के सहयोगी महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य ने अखिलेश यादव को बड़ी सलाह दे डाली है।
उनकी इस सलाह के बाद यूपी का सियासी पारा काफी बढ़ गया है। सपा के सहयोगी महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने अखिलेश यादव को सलाह दी है कि वो एक महीने के अंदर सारी स्थिति का साफ करे या फिर इंडिया गठबंधन से अलग हो जाए नहीं तो 2024 में इसका असर देखने को मिल सकता है।
केशव देव मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी एक महीने के भीतर सीटों का बंटवारा करके सारे विवाद को समाप्त करें या इंडिया गठबंधन से अलग होकर चुनाव की तैयारी में जुटे, वरना टांय-टांय फिस।
इस बीच अखिलेश यादव ने अपने इरादे पूरी तरह से स्पष्ठ कर दिए और वो चाहते हैं कि इंडिया गठबधन की बैठक से पहले सीट बंटवारे पर कोई फैसला हो। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि इंडिया गठबंधन के पहले जो बात तय हुई थी कि जो जहां मजबूत होगा वो वहां नेतृत्व करेगा और दूसरी पार्टियां वहां उसकी सहयोग करेंगी।
इंडिया गठबंधन को इसी फॉर्मूले पर आगे बढऩा होगा। अखिलेश यादव के ताजा बयान से एक बात तो साफ हो गई है कि वो इंडिया गठबंधन में रहना चाहते हैं लेकिन सीट बंटवारे को लेकर कोई विवाद न हो तो इसलिए चाहते हैं कि सीट बंटवारा हो जाये ताकि बीजेपी को हराने के लिए मजबूती चुनाव लड़ा जाये लेकिन बड़ा सवाल है कि कांग्रेस क्या अखिलेश यादव की बात मानती है या नहीं।
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