जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने सियासी बिसात बिछा दी है। कांग्रेस और आरजेडी मिलकर “वोटर अधिकार यात्रा” निकाल रहे हैं, जिसके जरिए एक तरफ आरजेडी दोबारा सत्ता में वापसी का रास्ता तलाश रही है तो वहीं कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन फिर से पाने की कोशिश में जुटी है।
इस यात्रा का मकसद साफ है-जनता को यह संदेश देना कि गठबंधन न सिर्फ एकजुट है, बल्कि चुनावी जंग में सरकार को कड़ी चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार भी है।
राहुल–तेजस्वी की नई जोड़ी और केमेस्ट्री
तेजस्वी यादव पहले ही राहुल गांधी को “अगला प्रधानमंत्री” बता चुके हैं, वहीं बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने भी उन्हें गठबंधन का सीएम फेस मानकर संकेत दे दिया है। यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं तक यह केमेस्ट्री भी पहुंच रही है। खास बात यह है कि इसमें वे चेहरे भी शामिल हो रहे हैं जो कभी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी थे-जैसे कन्हैया कुमार और पप्पू यादव।
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आरजेडी सांसद संजय यादव का कहना है, “केमेस्ट्री, फिजिक्स और मैथ्स सब ठीक है। बिहार का सीएम अचेत अवस्था में है और देश का पीएम 75 पार कर मार्गदर्शक मंडल में जाएगा। अब देश और बिहार युवाओं की तरफ देख रहा है।”
- तीन सूत्री फार्मूला: एकजुटता, संयम और विस्तार
- यात्रा शुरू करने से पहले महागठबंधन ने तीन बिंदुओं पर सहमति बनाई—
- छोटे-मोटे मतभेद भुलाकर नेता और कार्यकर्ता एकजुट दिखें।
- समर्थक संयमित रहें और भीड़बाजी या हुड़दंग से बचें।
- दलित–ईबीसी मतदाताओं को जोड़कर वोट बैंक का विस्तार किया जाए।
यही वजह है कि इस यात्रा में हर दल के कार्यकर्ताओं के बीच सादे कपड़ों में लोग तैनात किए गए हैं, जो अनुशासन बनाए रखते हैं।
बड़ी रणनीति: यूपी मॉडल की तर्ज पर
राहुल गांधी और कांग्रेस अब यूपी मॉडल पर बिहार में दलित और ईबीसी वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
इसके लिए आने वाले दिनों में कांग्रेस अपने ओबीसी–दलित मुख्यमंत्रियों (कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु) को बिहार भेजेगी ताकि एनडीए को “पिछड़ा–दलित विरोधी” करार दिया जा सके।
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- स्टार प्रचारक और बड़ी रैलियों की तैयारी
- सूत्रों के मुताबिक, वोटर अधिकार यात्रा में जल्द ही बड़े चेहरे शामिल होंगे।
- अखिलेश यादव का कार्यक्रम सीतामढ़ी में तय है।
- बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन को भी मंच पर लाने की कोशिश हो रही है।
- कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, सचिन पायलट और रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता स्टार प्रचारक होंगे।
मुद्दों की धार: सिर्फ वोट चोरी नहीं
महागठबंधन ने तय किया है कि यात्रा सिर्फ SIR और वोट चोरी के मुद्दे तक सीमित नहीं रहेगी। बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, किसान और विकास जैसे मुद्दों को भी केंद्र में लाया जाएगा। आंकड़ों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जनता के बीच यह संदेश पहुंचाया जाएगा कि सरकार इन मोर्चों पर पूरी तरह विफल रही है।
महागठबंधन का मास्टरस्ट्रोक या सिर्फ दिखावा?
वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल जरूर मचा दी है। राहुल–तेजस्वी की जोड़ी एकजुटता का संदेश दे रही है, लेकिन सवाल यही है कि क्या यह केमेस्ट्री जमीनी स्तर पर भी वोटों में तब्दील होगी? क्या कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस ला पाएगी और क्या आरजेडी सत्ता में वापसी कर पाएगी?
बिहार की सियासी जंग अभी शुरुआत है, लेकिन इतना तय है कि विपक्ष ने अबकी बार सरकार को कड़ी टक्कर देने का मन बना लिया है।