- : हर्षिल घाटी की 1200 मीटर लंबी झील से मची दहशत, सेना करेगी कंट्रोल्ड डिस्चार्ज
जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तराखंड की हर्षिल घाटी इन दिनों एक नई और खतरनाक आपदा की आहट से सहमी हुई है। यहां भागीरथी नदी पर मलबा और पत्थरों के जमाव से बनी 1200 मीटर लंबी, 100 मीटर चौड़ी और करीब 20 फीट गहरी कृत्रिम झील को विशेषज्ञ ‘वॉटर बम’ कह रहे हैं।
इस झील में करीब 7 लाख क्यूबिक मीटर पानी जमा हो चुका है और खतरा है कि अगर किनारे टूटे तो नीचे बसे गांव और कस्बे चंद मिनटों में जलप्रलय का सामना करेंगे।
बादल फटने से रुका नदी का बहाव
हाल ही में हुई भीषण बारिश और बादल फटने से धाराली और हर्षिल के बीच खीर गाड़ और भागीरथी नदी के संगम पर भारी मलबा जमा हो गया। उपग्रह तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि इस मलबे ने पंखे के आकार का अवरोध बना दिया है, जिसने नदी का प्राकृतिक प्रवाह रोककर पानी को झील का रूप दे दिया। नतीजा—पानी हर्षिल हेलिपैड और गंगोत्री रोड के हिस्सों तक पहुंच चुका है।
सेना उतरेगी मैदान में
खतरे को देखते हुए प्रशासन ने सेना की इंजीनियरिंग कोर को बुलाया है। योजना है कि झील में नियंत्रित तरीके से निकासी मार्ग बनाया जाए, ताकि अचानक बाढ़ का खतरा टल सके। टीम फिलहाल मुआयना कर रही है और झील को सुरक्षित ‘पंक्चर’ करने की रणनीति तैयार कर रही है।
तबाही की आशंका
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यह झील फूट गई तो 7 लाख क्यूबिक मीटर पानी कुछ ही मिनटों में नीचे के इलाकों में बह निकलेगा, जिससे घर, सड़कें, पुल और ढांचे बह सकते हैं। चूंकि यह झील मलबे और पत्थरों से बनी अस्थायी संरचना है, इसलिए दबाव में किसी भी वक्त टूट सकती है।
लोगों में बढ़ी बेचैनी
हर्षिल घाटी और आसपास के गांवों में लोगों ने घर खाली करने की तैयारी शुरू कर दी है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि झील फूटी तो सबकुछ पानी में समा जाएगा। अब उम्मीद सिर्फ सेना और इंजीनियरिंग टीम की कार्रवाई पर टिकी है—समय रहते कदम उठाए गए तो आपदा टल सकती है, वरना ‘वॉटर बम’ फटते ही यह इलाका तबाही के मंजर में बदल जाएगा।
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