जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: बिहार में जारी एसआईआर (स्पेशल इलेक्टोरल रिवीजन) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्षी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसे लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोला है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बहिष्कार करने पर गंभीरता से विचार कर सकती है।

क्या कहा तेजस्वी यादव ने?
पटना में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान तेजस्वी ने कहा:”जब सब कुछ तय हो गया है कि बेईमानी ही करनी है, वोटर लिस्ट से लाखों लोगों का नाम काट देना है, तो हम चुनाव बहिष्कार पर चर्चा कर सकते हैं। ये विकल्प हमारे पास खुला है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि जिन वोटरों ने मोदी सरकार को वोट देकर सत्ता में लाया, उन्हीं के नाम अब लिस्ट से गायब किए जा रहे हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है ताकि धांधली के जरिए सत्ता में वापसी हो सके।
महागठबंधन से होगी चर्चा
तेजस्वी यादव ने कहा कि वे चुनाव बहिष्कार के मुद्दे पर महागठबंधन के अन्य दलों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा:”जब जनता का ही नाम वोटर लिस्ट में नहीं होगा तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा? चंडीगढ़ जैसी स्थिति अगर बिहार में लाई जा रही है तो हम गंभीरता से चुनाव का बॉयकॉट करने पर विचार करेंगे।”
एसआईआर को लेकर गंभीर आरोप
तेजस्वी यादव ने एसआईआर प्रक्रिया को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करने की सिर्फ “सलाह” दी थी, कोई अनिवार्यता नहीं बनाई थी। इसके बावजूद राज्य सरकार और चुनाव आयोग मिलकर “गुपचुप तरीके से” फॉर्म अपलोड कर रहे हैं।
उन्होंने कहा:”विजय कुमार चौधरी इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्योंकि चुनाव आयोग को बचाना है, सच्चाई छुपानी है। असली खेल एक अगस्त के बाद शुरू होगा।”
विपक्ष के आरोप – सरकार करा रही वोटर लिस्ट में छेड़छाड़
विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर के नाम पर लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, जिनमें गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के लोग ज्यादा हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि चुनाव आयोग और सरकार मिलकर लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं।
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क्या है एसआईआर विवाद?
एसआईआर (Special Electoral Revision) एक नियमित प्रक्रिया है, जिसके तहत वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। लेकिन इस बार विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं की जा रही, और राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल की जा रही है।
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