जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले आरजेडी नेता और महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने बड़ा सियासी दांव खेला है।
सीटों के बंटवारे में चल रही तनातनी के बीच तेजस्वी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के मॉडल पर चलते हुए तीन डिप्टी सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा है।
इस प्रस्ताव ने कांग्रेस, वीआईपी (मुकेश सहनी की पार्टी) और लेफ्ट पार्टियों में नई ऊर्जा भर दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी, तो इन दलों को सत्ता में बड़ा हिस्सा मिल सकता है।
तेजस्वी का ‘तीन डिप्टी सीएम’ प्लान कई जातियों को साथ लाने की कोशिश
आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी ने हर जाति समूह को प्रतिनिधित्व देते हुए पांच-पांच डिप्टी सीएम बनाए थे। उसी रणनीति से प्रेरित होकर तेजस्वी ने बिहार में भी सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास किया है। तेजस्वी का यह फॉर्मूला भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ, ईबीसी और मुस्लिम वर्ग जैसे समुदायों को साधने की दिशा में देखा जा रहा है।

तेजस्वी यादव के इस प्रस्ताव से सीट बंटवारे का पेंच काफी हद तक सुलझता दिख रहा है।
- कांग्रेस 55-60 सीटों पर लड़कर भी डिप्टी सीएम पद पा सकती है,
- लेफ्ट पार्टियां 30 सीटों के आसपास लड़कर भी सत्ता में भागीदारी हासिल कर सकती हैं,
- वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को भी 15 सीटों के साथ बड़ा रोल मिल सकता है।
यह रणनीति न सिर्फ सीट बंटवारे की सहमति को आसान बनाएगी, बल्कि महागठबंधन में एकता और सामाजिक समीकरण को भी मजबूत करेगी।
तेजस्वी का ‘A टू Z’ फॉर्मूला और सियासी संदेश
तेजस्वी यादव का यह कदम महज गठबंधन प्रबंधन नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। उनका मकसद आरजेडी के पारंपरिक वोट बैंक से आगे जाकर हर वर्ग को जोड़ना है यानी उनका पुराना “A टू Z” फॉर्मूला अब नए रूप में लौटता दिख रहा है।
अगर यह फॉर्मूला काम करता है, तो बिहार की राजनीति में यह जगन रेड्डी स्टाइल मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है और लालटेन की लौ एक बार फिर पूरे बिहार में चमक सकती है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
