जुबिली स्पेशल डेस्क
संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को लोकसभा ने सेंट्रल एक्साइज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। बिल अब राज्यसभा में जाएगा। इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों—जैसे सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू पर अधिक एक्साइज ड्यूटी लगाना है।
बिल की जरूरत क्यों पड़ी?
जीएसटी लागू होने के बाद तंबाकू उत्पादों पर अस्थायी रूप से जीएसटी कंपेंसेशन सेस लगाया गया था, जिससे राज्यों को राजस्व मुआवजा दिया जा सके। लेकिन यह सेस अब समाप्त होने वाला है।
सरकार नहीं चाहती कि सेस खत्म होने से तंबाकू उत्पादों पर कर का बोझ कम हो जाए, जिससे उपयोग बढ़ने का खतरा हो।
इसीलिए सरकार नया प्रावधान लाकर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि तंबाकू जैसे ‘सिन गुड्स’ का उपभोग कम हो और स्वास्थ्य पर होने वाली हानियां घटें। साथ ही इससे मिलने वाला राजस्व स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में खर्च किया जा सकेगा।
कौन-कौन से उत्पाद होंगे प्रभावित?
- सिगरेट/सिगार/चुरूट: लंबाई के आधार पर प्रति 1000 स्टिक पर ₹5,000 से ₹11,000 तक एक्साइज
- चबाने वाला तंबाकू: ड्यूटी दोगुनी से भी अधिक
- कच्चा तंबाकू: 60–70% तक उत्पाद शुल्क
- हुक्का तंबाकू: 40% तक शुल्क
- सिगार, जर्दा, पान मसाला आदि: नई ड्यूटी या अतिरिक्त सेस का प्रावधान

बिल में क्या है प्रमुख प्रस्ताव?
बिल का प्रस्ताव है कि वर्तमान जीएसटी कंपेंसेशन सेस को हटाकर पूरी तरह एक्साइज ड्यूटी लागू की जाए। अभी तंबाकू पर 28% जीएसटी के ऊपर अलग-अलग दरों में सेस लगता है।
लोकसभा में चर्चा के दौरान शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इससे धूम्रपान को रोकने में मदद मिलेगी।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तंबाकू किसानों और छोटे दुकानदारों पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए ठोस नीति बनानी होगी। इस पर सरकार ने भरोसा दिलाया कि किसानों के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी।
‘सिगरेट किफायती नहीं रहनी चाहिए’ – वित्त मंत्री सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में कहा कि यह नया कर उपकर (सेस) नहीं, बल्कि उत्पाद शुल्क (एक्साइज) है, जो राज्यों के साथ साझा होने वाले डिविज़िबल पूल में जाएगा।उन्होंने बताया कि भारत में सिगरेट पर कुल टैक्स बोझ लगभग 53% है, जबकि WHO का मानक 75% है। कई देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में यह दर 80–85% तक है।सीतारमण ने साफ कहा “हम नहीं चाहते कि सिगरेट किफायती रहे।”
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
