जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision — SIR) के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) पर बढ़ते काम के दबाव और आत्महत्या जैसी घटनाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि BLOs के काम का बोझ कम किया जाए और अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल हैं, ने कहा कि SIR जैसी प्रक्रियाओं में तैनात कर्मचारी अपनी ड्यूटी निभाने के लिए बाध्य हैं, लेकिन उनका काम और स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित रहना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि BLO किसी निजी या स्वास्थ्य कारण से राहत चाहते हैं, तो उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों पर ध्यान दिया जाए और तुरंत किसी अन्य कर्मचारी की नियुक्ति की जाए।
कोर्ट ने दिए ये तीन मुख्य निर्देश:
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अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती: SIR प्रक्रिया में लगे BLOs के काम के घंटे कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए।
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छूट पर विचार: स्वास्थ्य या निजी कारणों से राहत मांगने वाले BLOs के मामले में व्यक्तिगत आधार पर छूट दी जाए।
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सीधा संपर्क: यदि किसी प्रकार की राहत नहीं मिल रही है, तो संबंधित कर्मचारी सीधे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों और राज्य चुनाव आयोगों की ओर से चुनाव आयोग में तैनात कर्मचारियों को SIR जैसी वैधानिक ड्यूटी निभानी होगी, लेकिन उनके काम का बोझ और मानसिक स्वास्थ्य भी प्राथमिकता पर होना चाहिए।
इस आदेश के बाद अब BLOs को SIR प्रक्रिया में लगे रहने के दौरान राहत और सुरक्षा मिलेगी। यह कदम BLOs के कामकाजी माहौल को सुधारने और मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।
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