Monday - 15 January 2024 - 12:52 AM

इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC का आदेश, बताना होगा किसने दिया चंदा

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी दलों को बॉन्ड के बारे में जानकारी देनी होगी। कोर्ट ने सभी दलों को आदेश दिया है कि 30 मई तक चुनावी बॉन्ड पर सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को जानकारी सौंपें।

इसके बाद अब सभी दलों को 15 मई तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सीलबंद लिफाफे में 30 मई तक चुनाव आयोग को सौंप देनी होगी। इस जानकारी में चंदा देने वालों का ब्यौरा भी देना होगा।

इससे पहले मोदी सरकार ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ से कहा था कि जहां तक चुनावी बॉन्ड योजना का सवाल है तो यह सरकार का नीतिगत फैसला है और नीतिगत फैसला लेने के लिए किसी भी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है।

पीठ ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या बैंक को चुनावी बॉन्ड जारी करने के समय क्रेताओं की पहचान का पता होता है।

इस पर वेणुगोपाल ने सकारात्मक जवाब दिया और तब कहा कि बैंक केवाईसी का पता लगाने के बाद बॉन्ड जारी करते हैं, जो बैंक खातों को खोलने पर लागू होते हैं।

बताते चले कि राजनीति में पारदर्श‍िता बढ़ाने और प्रचार के दौरान नकदी के इस्तेमाल पर नज़र रखने के लिए मोदी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड्स लेकर आई थी, ये बॉन्ड्स सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाने वाले साबित हुए हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड अभी सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक से ही खरीदे जा सकते हैं।

इसके बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। और मांग की है कि या तो चुनावी बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगा दी जाए या चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाएं।

एडीआर को सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब के मुताबिक बीते एक साल में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री में 62% का उछाल आया है।

एडीआर की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण का भी यही तर्क था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से कॉरपोरेट और उद्योग जगत को फायदा हो रहा है और ऐसे बॉन्ड से मिले चंदे का 95 फीसदी हिस्सा बीजेपी को मिलता है।

चुनाव आयोग ने भी अपनी टिप्पणियों में इलेक्टोरल बॉन्ड जैसी अज्ञात बैंकिंग व्यवस्था के जरिए राजनीतिक फंडिंग को लेकर संदेह जाहिर किए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दावे के साथ इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com