जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को लोकसभा में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत को अपने सांविधिक मूल्यों (कॉन्स्टिट्यूशनल वैल्यूज़) को बनाए रखना चाहिए, जिसमें ‘नहीं का मतलब नहीं’ और ‘सिर्फ हां का मतलब हां’ शामिल हैं।

बिल का उद्देश्य
शशि थरूर ने कहा कि वर्तमान में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के सेक्शन 63 के तहत शादी के भीतर सहमति के बिना सेक्स को अपराध मानने से बाहर रखा गया है, जिससे पुरुष अपनी पत्नियों के साथ बिना सहमति के संबंध बना सकते हैं, बशर्ते पत्नी 18 साल से अधिक उम्र की हो।
थरूर ने बताया कि यह पुराना कानून पुरुष-प्रधान सोच और औपनिवेशिक युग की मानसिकता पर आधारित है, जो पत्नियों को संपत्ति की तरह देखता है। बिल पेश करने का मकसद है कि मैरिटल रेप को क्रिमिनल अपराध बनाकर शादीशुदा महिलाओं को कानूनी सुरक्षा देना।
महिला अधिकार और सुरक्षा
सांसद ने कहा कि मैरिटल रेप का मुद्दा शादी के अधिकार नहीं बल्कि हिंसा का मामला है। हर महिला को शादी में भी शारीरिक आजादी और सम्मान का बुनियादी अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और शारीरिक आज़ादी के अधिकारों को मजबूत करेगा।
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अन्य प्राइवेट मेंबर बिल
सांसद ने इसके अलावा दो और बिल भी लोकसभा में पेश किए।
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ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 में बदलाव करने का बिल।
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राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रीऑर्गेनाइज़ेशन के लिए एक कमीशन बनाने का बिल।
शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर कहा कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाना भारत के कानूनी ढांचे में एक अहम जरूरत है, ताकि महिलाओं की शादी के भीतर भी कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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