जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से तिरंगा फहराते हुए देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का जिक्र किया और संगठन की तारीफ की। उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताया और कहा कि पिछले 100 वर्षों से संघ व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प पर काम कर रहा है।

लेकिन पीएम के इस बयान के बाद विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और CPI(M) ने पीएम मोदी को निशाने पर लिया।
ओवैसी का वार: “RSS ब्रिटिशों के पैदल सैनिक था”
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,“स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में आरएसएस की तारीफ करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है। आरएसएस और इसके वैचारिक सहयोगी ब्रिटिशों के पैदल सैनिक के रूप में काम करते थे। उन्होंने कभी स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया।”
ओवैसी ने आगे कहा कि गांधी से आरएसएस उतनी नफरत करता था जितना उसने कभी ब्रिटिशों का विरोध नहीं किया। उन्होंने चेतावनी दी,“अगर हम असल इतिहास नहीं पढ़ेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब कायरता को बहादुरी के रूप में बेचा जाएगा।”
उन्होंने आरएसएस को “चीन से भी बड़ा खतरा” बताया और कहा कि हिंदुत्व की विचारधारा संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
“RSS का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं”
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी पीएम मोदी के बयान पर नाराजगी जताई। पार्टी महासचिव एम.ए. बेबी ने X पर लिखा,“यह बेहद अफसोसनाक है कि पीएम मोदी ने लाल किले से आरएसएस की तारीफ की। यह संगठन स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा नहीं था। इसके बजाय इसने धार्मिक आधार पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर किया।”उन्होंने याद दिलाया कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था।
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पीएम मोदी ने क्या कहा था?
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,“आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ था—राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर 100 साल तक संघ ने काम किया। संघ दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है।”
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