जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को देखते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी ही बनाए रखा गया है.

रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. मतलब ये हुआ कि रेपो रेट बढ़ने पर बैंक भी ज़्यादा ब्याज पर कर्ज़ देते हैं यानी ईएमआई बढ़ती है. आरबीआई गवर्नर ने बाज़ार में नकदी बढ़ाने के उपायों के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि कैश रिज़र्व रेशियो (सीआरआर) में 50 प्वाइंट की कमी कर दी गई है.
यानी बैंकों के पास कर्ज़ बांटने के लिए अब अधिक नकदी होगी. इसके अलावा आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 2024-25 के लिए 7.2% से कम करके 6.6% कर दिया है. साथ ही वित्त वर्ष 2025 के लिए महंगाई का अनुमान, पहले के 4.5% के मुकाबले बढ़ाकर 4.8% कर दिया है. अभी दो दिन पहले ही जीडीपी की दूसरी तिमाही के आंकड़े आए हैं जिसमें दूसरी तिमाही में जीडीपी दर 5.4% आई है.
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महंगाई पर नियंत्रण के साथ ग्रोथ भी जरूरी
आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक 4 दिसंबर को शुरू हुई थी और बैठक में लिए गए फैसलों का आज एलान किया गया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, हमारा लक्ष्य महंगाई पर नियंत्रण रखना है और ग्रोथ को बनाए रखते हुए कीमतों को स्थिर रखना है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, कीमतों को स्थिर रखना सबसे जरूरी है पर साथ में ग्रोथ को बनाए रखना भी जरूरी है और यही आरबीआई के एक्ट में भी कहा गया है.
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