जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर हमला करने वाले वकील राकेश किशोर ने एक टीवी चैनल से खास बातचीत में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो किया वह परमात्मा का आदेश मानकर किया। राकेश ने यह भी दोहराया कि वह 16 सितंबर को चीफ जस्टिस द्वारा खजुराहो में विष्णु भगवान की मूर्ति पर दायर याचिका पर की गई टिप्पणी से आहत थे।

घटना के बाद की स्थिति
राकेश किशोर को हमले के कुछ घंटे बाद हिरासत में रखा गया और फिर छोड़ दिया गया। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा—“मैं समझ नहीं पा रहा कि यह उनकी भलमनसाहत है, अच्छाई है या कुछ और। मैं तो सोचकर गया था कि मेरे साथ जो होगा वह परमात्मा चाहेगा। मैं कुछ नहीं कर सकता।”
वहीं, CJI बीआर गवई ने राकेश किशोर के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। अधिकारियों से उन्होंने कहा कि उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया जाए।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सस्पेंशन दिया
हालांकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर की सदस्यता रद्द कर दी। राकेश ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए कहा—“एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 35 में साफ लिखा है कि किसी भी मामले में वकील को शो कॉज नोटिस देकर जवाब देने का मौका दिया जाना चाहिए। यह सब मुझे दिए बिना सस्पेंड कर दिया गया। इतने बड़े विद्वान लोग जो बार काउंसिल को हेड कर रहे हैं, उनका यह फरमान आया।”
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दलित-बलित और राजनीतिक आरोपों पर सफाई
राकेश ने कहा कि उनका दलित या वलित होने का कोई एजेंडा नहीं है।“मेरे पास कई वकीलों और राजनीतिक पार्टियों के फोन आ रहे हैं, लेकिन मेरा दलित वलित का कोई चक्कर नहीं है। गवई साहब पहले ही बौद्ध धर्म अपनाए हुए हैं। मैंने किसी के धर्म के खिलाफ या जाति सूचक शब्द नहीं बोले।”भविष्य की योजना पर राकेश ने कहा—“मैं बैठा हुआ हूं, परमात्मा की जैसी मर्जी होगी, वही होगा।”
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