जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को दोहराते हुए एक अभूतपूर्व कदम उठाया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान (ज्वाइंट कम्युनिके) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उस बयान में पहलगाम आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं था, जिसमें हाल ही में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।
बैठक का दृश्य: जब भारत ने जताया विरोध
अस्ताना (कजाखस्तान) में आयोजित SCO की बैठक में जब साझा बयान का ड्राफ्ट राजनाथ सिंह के सामने रखा गया, तो उन्होंने उसे ध्यान से पढ़ा। उनके चेहरे के हाव-भाव और टेबल पर कलम रखने की मुद्रा ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें ड्राफ्ट में गंभीर आपत्ति है।
उन्होंने बयान में हस्ताक्षर करने से इनकार करते हुए कहा कि:”यह संयुक्त बयान आतंकवाद पर भारत की ठोस नीति और हालिया घटनाओं की गंभीरता को प्रतिबिंबित नहीं करता।”
पाकिस्तान-चीन पर सीधा निशाना
भारत को इस बात पर खास आपत्ति थी कि साझा बयान में न केवल पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख नहीं किया गया, बल्कि उसकी जगह परोक्ष रूप से बलूचिस्तान का जिक्र कर भारत पर ही अशांति फैलाने के आरोप लगाए गए।
सूत्रों के मुताबिक, यह मसौदा चीन की अध्यक्षता में तैयार किया गया था और माना जा रहा है कि पाकिस्तान के दबाव में भारत विरोधी रुख को प्राथमिकता दी गई।
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान दो टूक शब्दों में कहा:“आतंकवाद केवल एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं है, यह वैश्विक खतरा है। इसे नजरअंदाज करना शांति और मानवता के साथ समझौता है। भारत हर मंच पर आतंक के खिलाफ खड़ा रहेगा, चाहे कोई साथ दे या नहीं।”
क्यों खास है यह विरोध?
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आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सदस्य देश कूटनीतिक संतुलन बनाए रखते हैं और संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर कर देते हैं, चाहे उसमें कुछ मुद्दे छूट भी जाएं।
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लेकिन इस बार भारत ने खुलेआम विरोध दर्ज किया, और बिना स्पष्ट नाम लिए पाकिस्तान और चीन को कठघरे में खड़ा किया।
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भारत का यह कदम दिखाता है कि वह अब आतंकवाद जैसे मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा, भले ही वह किसी भी बहुपक्षीय मंच पर क्यों न हो।
भारत का रुख स्पष्ट
भारत लगातार आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वकालत करता रहा है। लेकिन जब संयुक्त बयान में भारत में हुए हालिया हमले का कोई जिक्र नहीं हुआ, तो भारत ने साफ कर दिया कि वह ‘सिर्फ रस्मी समर्थन’ में भरोसा नहीं करता।
SCO के अन्य सदस्य क्या बोले?
हालांकि, SCO के बाकी सदस्य देशों – रूस, ईरान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान – ने बयान पर हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन भारत के रुख ने मंच पर कूटनीतिक हलचल जरूर पैदा कर दी।
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राजनाथ सिंह द्वारा साझा बयान पर हस्ताक्षर से इनकार करना केवल एक विरोध नहीं, बल्कि भारत का यह साफ संदेश है कि “आतंकवाद पर चुप्पी अब सहन नहीं की जाएगी।” भारत अब हर वैश्विक मंच पर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और गरिमा को सर्वोपरि रखेगा, चाहे सामने चीन हो, पाकिस्तान या कोई और।