Sunday - 7 January 2024 - 2:42 AM

राजस्थान के रण का पटाक्षेप लेकिन जीत किसकी हुई और हारा कौन ?

जुबिली न्यूज़ डेस्क

आखिर राजस्थान में एक महीने से अधिक समय से चल रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो गया। आज सचिन पायलट की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद यह तय हो गया कि गहलोत सरकार पर अब किसी तरह का कोई संकट नहीं है। लेकिन इस पूरे प्रकरण के बाद अभी तक कई लोगों को समझ नहीं आ रहा कि इस खींचतान में जीत किसकी हुई और हारा कौन ?

दरअसल सही मायने में देखा जाए तो इस पूरे घटनाक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत काफी मजबूत नजर आये और अन्तोगत्वा उनकी सरकार बनी हुई है लेकिन आगे गहलोत मुख्यमंत्री बने ही रहेंगे इस बात पर भी अब कानाफूसी शुरू हो गई है।

अशोक गहलोत के लिए सचिन पायलट की वापसी भी कहीं न कहीं सुकून देने वाली नहीं है क्योंकि उनके तेवर से हर बार ऐसा लगा कि वह अपनी राह के पायलट रूपी कांटे को हमेशा के लिए उखाड़ फेंकना चाहते हैं।

वहीं सचिन पायलट की बात की जाए तो वह शुरुआत से ही किसी एक स्टैंड पर क्लियर नहीं दिखे। पायलट के भीतर आत्मविश्वास की कमी बराबर नजर आती रही। या तो वह अपने समर्थन करने वाले विधायकों को लेकर कंफ्यूज रहे या फिर बीजेपी और वसुंधरा राजे पर भरोसा नहीं कर पाए।

यहां पायलट और गहलोत के आलावा कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच भी एक जंग चल रही थी। इस जंग में तो फ़िलहाल कांग्रेस को जीत मिल गई है। राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय एक कमेटी बनाने का ऐलान किया है जो सचिन पायलट द्वारा उठाए गए मुद्दों की समीक्षा करेगी।

केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सचिन पायलट ने राहुल गांधी से मिलकर विस्तार से बातचीत की। दोनों के बीच बहुत खुले और दोस्ताना स्तर पर बातचीत हुई। बातचीत में सचिन ने राहुल गांधी से वादा किया कि वे राजस्थान में कांग्रेस के साथ और उसके हित में काम करेंगे।

सचिन की वापसी कांग्रेस के लिए थी जरुरी

बता दें कि सचिन पायलट का गांधी परिवार से बचपन से ही करीबी रिश्ता रहा है। सचिन पायलट के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी बड़े गहरे संबंध हैं ऐसे में पायलट के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस के युवा नेताओं में काफी नाराजगी थी। वहीं कार्यकर्ताओं के बीच ये सन्देश भी जा रहा था कि कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं के चलते युवाओं का भविष्य खतरे में है। प्रिया दत्त समेत कई युवा नेताओं ने सचिन पायलट का समर्थन भी किया था। जिसके बाद चर्चा तेज हो गई थी कि अन्य राज्यों में भी बगावत हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस के लिए अपनी छवि ख़राब होने से बचाने के लिए पायलट की वापसी जरुरी हो गई थी।

यह भी पढ़ें : शायर मुनव्वर राणा ने क्यों लिखा PM मोदी को पत्र

यह भी पढ़ें : भोपाल में जनाधार टटोलने तो नहीं पहुंचे संघ प्रमुख!

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com