जुबिली न्यूज डेस्क
यूपी की सियासत की बात करे तो बिना चुनाव के ही हलचल मचा रहता है। इस समय सियासत में ‘शूद्र’ शब्द पर संग्राम चल रहा है। उपेक्षित और कमजोर वर्ग को परिभाषित करने वाले शब्द की राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से व्याख्या कर रहे हैं। इस वर्ग की समस्याओं को उठाने की बजाय ताकत यह बताने में लगाई जा रही है कि हम भी शूद्र हैं और इनके शुभचिंतक हैं।

दरअसल जिन्हें शूद्र कहा जा रहा है, वोट के लिहाज से उनकी सियासी हैसियत निर्णायक मानी जाती है। यही कारण है कि इस वर्ग को अपने साथ खड़े करने की होड़ मची है।
प्रकरण की शुरुआत रामचरित मानस पर बिहार के एक मंत्री की टिप्पणी से हुई थी। मामले ने तूल उस समय पकड़ा, जब सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है।
मामला तब और गरमा गया जब इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कूद पडे़। उन्होंने कहा कि भाजपा हम सबको शूद्र समझती है। वह एक बार मुख्यमंत्री से चौपाई पढ़कर सुनाने को जरूर कहेंगे। सदन में जरूर इस बारे में पूछेंगे। उधर, सीएम योगी ने भी कहा कि वह इस मामले पर बहस को तैयार हैं। प्रदेश में हुए विकास से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सपा इस तरह के मुद्दे उठा रही है।
शूद्रों में मायावती भी नहीं रही पीछे
बसपा सुप्रीमो मायावती ने रामचरितमानस प्रकरण को लेकर सपा पर हमला बोला है। मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि देश में कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ रामचरितमानस व मनुस्मृति नहीं बल्कि भारतीय संविधान है। इसमें बाबा साहब ने इन्हें शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। सपाई शूद्र कहकर उनका अपमान न करें और साथ उन्होने लखनऊ गेस्ट हाउस कांड याद दिलाते हुए कहा कि घटना को भी याद कर अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।
मायावती के बयान पर अखिलेश ने भाजपा को घेरा
मायावती के बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा को घेरा। कहा कि भाजपा होशियार पार्टी है। वो जिस जवाब को नहीं देना चाहती है, इसके लिए वह कभी-कभी दूसरे दलों को आगे करती है। हम सपाइयों के लिए सबसे बड़ा कोई धर्म है तो वह संविधान है। संविधान में कहां कहा गया है कि धर्म को ऊंचा-नीचा दिखाएं। डॉ. भीमराव आंबेडकर, राम मनोहर लोहिया ने जो आंदोलन चलाया, जो लड़ाई लड़ी क्या उसके तहत हमें अधिकार मिल रहे हैं। भाजपा वही अधिकार छीन रही है।
अब गेस्ट हाउस कांड याद न करें मायावती : मौर्य
इधर स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अब मायावती को गेस्ट हाउस कांड याद नहीं आना चाहिए। लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने सपा से गठबंधन किया था। उनका पूरा सम्मान किया गया। वह भी उनका बेहद सम्मान करते हैं, लेकिन अब मायावती के पैराें तले जमीन खिसक रही है। यही वजह है कि वे अलग-अलग बयान दे रही है।
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बता दे कि स्वामी प्रसाद ने मायावती के बाद भाजपा को घेरते हुये कहा कि उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर भी निशाना साधा। कहा कि वह भूल गए कि पिछड़े समाज के केशव को स्टूल पर बैठना पड़ता था।
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