जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच सियासी टकराव तेज हो गया है। कांग्रेस लगातार इस कदम को महात्मा गांधी का अपमान बता रही है, जबकि सरकार इसे समय के अनुरूप बदलाव करार दे रही है।

सूत्रों के मुताबिक, विकसित भारत–रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (VB-G RAM-G) बिल पर कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया था कि नाम को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव स्वाभाविक है और महात्मा गांधी व भगवान राम—दोनों ही पूजनीय हैं, दोनों की भावना का सम्मान किया जाता है।
राहुल गांधी का तीखा हमला
इस मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा कि “मोदी जी को महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से बड़ी दिक्कत है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मनरेगा, महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के सपने का जीवंत रूप है और करोड़ों ग्रामीणों की जिंदगी का सहारा रहा है। कोविड काल में यह योजना गरीबों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को यह योजना हमेशा खटकती रही और पिछले 10 वर्षों से इसे कमजोर करने की कोशिश की जाती रही है। राहुल गांधी ने कहा कि अब सरकार मनरेगा का “नामो-निशान मिटाने” पर आमादा है।
मनरेगा की बुनियादी सोच का जिक्र
राहुल गांधी ने मनरेगा की मूल अवधारणा को याद दिलाते हुए कहा कि इसकी नींव तीन प्रमुख सिद्धांतों पर रखी गई थी—
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रोजगार का अधिकार: जो काम मांगेगा, उसे काम मिलेगा।
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गांवों को स्वतंत्रता: गांव खुद तय करेंगे कि विकास के कौन से काम किए जाएं।
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केंद्र की जिम्मेदारी: मजदूरी का पूरा खर्च और सामग्री लागत का 75% केंद्र सरकार देगी।
उनका आरोप है कि नया बिल लाकर सरकार सारी ताकत केंद्र में समेटना चाहती है। बजट, योजनाएं और नियम केंद्र तय करेगा, जबकि राज्यों को 40% खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा। फसल कटाई के मौसम या बजट खत्म होने पर दो महीने तक काम न मिलने की आशंका भी जताई गई।
“जनविरोधी बिल का विरोध करेंगे”
राहुल गांधी ने कहा कि यह नया बिल महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पहले ही भारी बेरोजगारी से युवाओं का भविष्य बर्बाद कर चुकी है और अब यह बिल ग्रामीण गरीबों की सुरक्षित रोजी-रोटी पर भी हमला है। कांग्रेस इस बिल का विरोध “गांव की गलियों से संसद तक” करेगी।
सरकार का पक्ष
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट में कहा था कि नाम बदलने को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने राज्यों की अधिक जवाबदेही पर जोर देते हुए कहा कि धन का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित होना चाहिए और जवाबदेही केवल केंद्र की नहीं, बल्कि राज्यों की भी होनी चाहिए। साथ ही प्रौद्योगिकी के जरिए पारदर्शिता बढ़ाने और केंद्र बनाम राज्य के आरोपों पर विराम लगाने की बात कही।
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मनरेगा के नाम और स्वरूप को लेकर यह बहस अब राजनीतिक रूप से और तेज होती नजर आ रही है, जिसमें आने वाले दिनों में संसद और सड़क दोनों पर टकराव के संकेत मिल रहे हैं।
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