जुबिली स्पेशल डेस्क
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर छात्र राजनीति की वजह से सुर्खियों में है। इस बार विवाद विजयदशमी के मौके पर आयोजित दुर्गा पूजा विसर्जन को लेकर हुआ, जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और लेफ्ट संगठनों से जुड़े छात्रों के बीच जमकर नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोप हुए।
एबीवीपी का आरोप है कि दुर्गा मां के विसर्जन के दौरान लेफ्ट के छात्रों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली हरकतें कीं।
उनका कहना है कि जुलूस के रास्ते में कुछ छात्रों ने चप्पलें दिखाई और महिषासुर के समर्थन में नारे लगाए। एबीवीपी के मुताबिक, दुर्गा पूजा करने और विसर्जन के लिए निकले छात्रों पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की गई। संगठन ने इस घटना को आस्था और परंपरा का अपमान करार दिया।
वहीं, लेफ्ट से जुड़े छात्र संगठनों ने एबीवीपी के आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि विवाद का कारण धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एबीवीपी की ओर से उठाया गया एक विवादास्पद कदम था।

लेफ्ट छात्रों का दावा है कि एबीवीपी ने विजयदशमी के मौके पर जेएनयू के पूर्व छात्रों-ऊमर खालिद और शरजील इमाम—को ‘रावण’ का प्रतीक बनाकर पुतला जलाने की योजना बनाई थी। इसी को लेकर विरोध दर्ज कराया गया। लेफ्ट का कहना है कि एबीवीपी जानबूझकर इस पूरे मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहा है, ताकि माहौल को भड़काया जा सके। उनका तर्क है कि दुर्गा पूजा और विसर्जन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ, विवाद केवल राजनीतिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर उठा।
विश्वविद्यालय परिसर के कई अन्य छात्रों का कहना है कि असल तनाव इसी पुतले पर आपत्ति से शुरू हुआ। शुरुआत में दोनों पक्षों के बीच बहस और गाली-गलौच हुई, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति नारेबाजी और उग्र विरोध तक पहुंच गई।
कुछ छात्रों का कहना है कि दोनों ही धड़े अपनी-अपनी विचारधारा को आगे रखने के लिए धार्मिक आयोजनों और राजनीतिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जेएनयू का माहौल बार-बार तनावग्रस्त हो रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब जेएनयू में धार्मिक आयोजनों के साथ राजनीतिक विवाद जुड़ा हो। इससे पहले भी कैंपस में महिषासुर शहादत दिवस, सरस्वती पूजा और अन्य आयोजनों को लेकर छात्र संगठनों के बीच मतभेद सामने आ चुके हैं।
मौजूदा विवाद ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या विश्वविद्यालय परिसर में धार्मिक आस्थाओं और राजनीतिक विचारधाराओं का इस्तेमाल टकराव बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, या यह महज़ छात्रों के बीच वैचारिक असहमति की परिणति है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
