जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पूरे दमखम के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं।
महागठबंधन को एकजुट रखने और संगठनात्मक मजबूती लाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के तालमेल को लेकर तेजस्वी ने कई बार दिल्ली का दौरा किया है, जिससे साफ है कि वे गठबंधन की बुनियाद को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहते।
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तेजस्वी अब राजनीति में पहले से कहीं अधिक परिपक्व नजर आ रहे हैं। वे न केवल रणनीतिक रूप से सोच रहे हैं, बल्कि एक जिम्मेदार और संयमित नेता के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में भी लगातार अग्रसर हैं। सीएम पद की दावेदारी को लेकर उनका रवैया अब कहीं अधिक गंभीर और व्यावहारिक दिखाई देता है।
उनकी कोशिश है कि महागठबंधन में किसी भी तरह की दरार न आए और सभी घटक दल एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ मजबूत चुनौती पेश करें। तेजस्वी की यह सक्रियता और नेतृत्व क्षमता बताती है कि वे अब न केवल विपक्ष के बल्कि सत्ता के भी एक मजबूत विकल्प बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पूरी तरह से एक्शन मोड में हैं। चुनावी बिसात पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए तेजस्वी यादव न सिर्फ हर मोर्चे पर सक्रिय हैं, बल्कि महागठबंधन के भीतर एकजुटता का संदेश भी देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
हाल ही में पटना में महागठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें शामिल सभी घटक दलों ने आपसी सामंजस्य और एकजुटता पर जोर दिया। हालांकि बैठक के बाद आधिकारिक रूप से महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का एलान नहीं किया गया, लेकिन राजनीतिक संकेत साफ-साफ तेजस्वी के नाम पर मोहर लगने की ओर इशारा कर रहे हैं। इस बैठक का सबसे दिलचस्प पहलू वह बैनर रहा, जिसने सियासी गलियारों में कई संदेश छोड़ दिए। बैनर में जहां एक ओर तेजस्वी यादव की बड़ी तस्वीर प्रमुखता से लगाई गई थी, वहीं अन्य दलों के नेताओं की तस्वीरें पूरी तरह नदारद थीं। बैनर में ‘इंडिया गठबंधन’ का लोगो और घटक दलों के चुनाव चिन्ह जरूर थे, लेकिन चेहरा केवल तेजस्वी का था।
बैठक के बाद जब तेजस्वी से एक पत्रकार ने सवाल किया कि महागठबंधन की मीटिंग कैसी रही, तो उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया—”हम लोग पूरी तरह मस्त हैं!” यह जवाब जितना सहज था, उतना ही आत्मविश्वास से भरा हुआ भी।
इन तमाम घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आरजेडी और महागठबंधन के भीतर तेजस्वी यादव को ही बतौर मुख्यमंत्री चेहरा स्वीकार कर लिया गया है, भले ही इसकी औपचारिक घोषणा न हुई हो।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक कौशल का ही नतीजा है कि आज महागठबंधन की केंद्रबिंदु वही बन चुके हैं।
अब देखना यह है कि क्या तेजस्वी इस बार सिर्फ दावेदार बनकर रह जाएंगे या सचमुच बिहार की गद्दी तक पहुंचने का अपना सपना पूरा कर पाएंगे।