जुबिली न्यूज जेस्क
नई दिल्ली। उत्तर कोरिया (DPRK) ने अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हालिया सैन्य हमले की तीखी आलोचना करते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है। उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह हमला किसी भी संप्रभु राष्ट्र की सुरक्षा, राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है।
UN चार्टर का उल्लंघन: DPRK का सीधा आरोप
उत्तर कोरिया का कहना है कि किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वायत्तता में बल प्रयोग या हस्तक्षेप, संयुक्त राष्ट्र चार्टर की मूल भावना के खिलाफ है। बयान में कहा गया है,“संयुक्त राष्ट्र चार्टर की सबसे बुनियादी शर्त है – किसी भी देश की संप्रभुता का सम्मान और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना। अमेरिका का यह हमला न केवल इस सिद्धांत का अपमान है, बल्कि वैश्विक कानून व्यवस्था की स्थिरता पर भी सीधा हमला है।”
डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल पर तीखा हमला
उत्तर कोरिया ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर परोक्ष निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि अमेरिका, इजरायल को एक “जमीन हड़पने वाला राष्ट्र” बनाने में सहयोग कर रहा है। बयान में कहा गया कि“अमेरिका की विदेश नीति ने इजरायल को एक क्षेत्रीय विस्तारक शक्ति में बदल दिया है, जो अब युद्ध के जरिए एकतरफा लाभ लेने की कोशिश कर रहा है।” उत्तर कोरिया के अनुसार, अमेरिका और इजरायल शांति बहाल करने और आतंकवाद मिटाने के नाम पर बल प्रयोग कर रहे हैं, जबकि असल में ये कार्रवाइयां क्षेत्रीय स्थिरता को नष्ट कर रही हैं।
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव: DPRK की चेतावनी
उत्तर कोरिया ने इस सैन्य हमले को मध्य पूर्व में लगातार बिगड़ती स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है। बयान में कहा गया कि यह हमला सिर्फ ईरान ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा है।“इजरायल लगातार युद्ध, जबरन जमीन कब्जा करने और सामरिक कार्रवाई के जरिए क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहा है। अमेरिका इस विस्तारवादी नीति का समर्थक बनकर खड़ा है, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।”
DPRK की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
उत्तर कोरिया ने अंत में एक भावुक अपील करते हुए कहा कि दुनिया के सभी देश, खासकर विकासशील और स्वतंत्र राष्ट्र, अमेरिका और इजरायल की इस “शत्रुतापूर्ण नीति” के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाएं।
बयान में कहा गया:“यह वक्त है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिका और उसके सहयोगियों की नीतियों की खुलकर निंदा करे। अगर आज यह रोका नहीं गया, तो कल यह किसी और राष्ट्र की संप्रभुता को कुचलने का प्रयास करेगा।”
DPRK की रणनीति और संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान उत्तर कोरिया की अमेरिका विरोधी विदेश नीति का हिस्सा है, लेकिन इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा है।उत्तर कोरिया खुद पश्चिमी प्रतिबंधों और कूटनीतिक अलगाव का शिकार है।वह ईरान जैसे देशों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाकर अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।यह बयान न केवल अमेरिका के खिलाफ है, बल्कि चीन-रूस ब्लॉक को मजबूती देने वाला भी है।
इजरायल-ईरान संघर्ष:
हाल के महीनों में इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर रहा है। इजरायल ने दावा किया कि ईरान क्षेत्र में मिलिशिया नेटवर्क और ड्रोन/मिसाइल हमलों के जरिए उसकी सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।जवाब में इजरायल ने ईरानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया।अमेरिका ने इजरायल को सैन्य समर्थन दिया और कुछ रिपोर्टों के मुताबिक खुद भी प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई में शामिल हुआ। इसी क्रम में अमेरिका का यह हमला सामने आया, जिससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।
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संयुक्त राष्ट्र का क्या रुख हो सकता है?
DPRK के इस बयान के बाद निगाहें अब संयुक्त राष्ट्र पर हैं।
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क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अमेरिका की इस कार्रवाई पर कोई टिप्पणी करेगी?
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क्या रूस और चीन इस मुद्दे को UNSC में उठाएंगे?
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका के वीटो अधिकार और इजरायल का रणनीतिक सहयोगी होना, इस मामले को संयुक्त राष्ट्र स्तर पर जटिल बना देता है।