
पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। 18 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए मतदान होना है। दूसरे चरण में यूपी की जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें से एक सीट है अलीगढ लोकसभा सीट। यूपी का यह शहर कई वजह से अहम है लेकिन दुनिया में इसकी पहचान यहां स्थित ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ के कारण है। हाल ही में एएमयू में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर काफी बवाल हुआ था। अब जब चुनाव का मौसम चल रहा है तो अलीगढ़ सीट पर सभी का ध्यान लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को यहां एक चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। इस रैली में पीएम मोदी के भाषण पर सबकी नजरे होंगी।
बीजेपी राष्ट्रवाद को बना रही है मुद्दा
चुनाव शुरू होने से पहले ही बीजेपी द्वारा राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। यहां तक की पहले चरण का चुनाव होते होते नेताओं के भाषण में अली और बजरंगबली शामिल हो गए हैं। ऐसे में अलीगढ़ सीट इमं जीत के लिए बीजेपी द्वारा राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने की कोशिश होगी।
बता दें कि अलीगढ़ जिले में करीब 20 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या और करीब 80 फीसदी हिंदू मतदाता हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी के सतीश गौतम ने एकतरफा जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 48 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी के उनके प्रतिद्वंदी अरविंद कुमार सिंह को 21 फीसदी वोट मिले थे। यहां समाजवादी पार्टी तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी।
जातीय गणित के सामने राष्ट्रवाद का मुद्दा पड़ सकता है फीका
अलीगढ़ सीट से सपा-बसपा व रालोद गठबंधन, कांग्रेस और शिवपाल यादव की पार्टी ने जाट उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। वहीं बीजेपी ने मौजूदा सांसद सतीश गौतम को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां पूर्व सांसद विजेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि गठबंधन ने अजीत बालियान और शिवपाल की प्रसपा ने दीपक चौधरी को मैदान में उतारा है। बता दें कि जाट वोटों का बंटवारा यहां के चुनाव परिणाम बदलने में अहम भूमिका निभाएगा।
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