जुबिली स्पेशल डेस्क
इस्लामिक महीने मुहर्रम का चांद बृहस्पतिवार को हो गया। मरकज़ी शिया चाँद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद सैफ अब्बास नकवी ने सूचना दी है कि 26 जून को मुहर्रम का चाँद हो गया है। इसलिए कल 27 जून 2025 को पहली मुहर्रम है और 6 जूलाई 2025 को शहादते इमाम हुसैन अ0स0 (यौमे आशूरा ) है।
मुहर्रम का चांद नज़र आने के साथ ही शहर में कर्बला के शहीदों की याद में मातम का माहौल पसर गया है। ग़म के इस पाक महीने की शुरुआत होते ही अजाखानों में फर्श-ए-अज़ा बिछा दी गई, और काले परचमों से गली-मोहल्ले सोगवार हो उठे।
शोक संतप्त महिलाओं ने अपनी सुहाग की निशानियों को उतार दिया और इमाम हुसैन व उनके जाननिसार साथियों की कुर्बानी को याद करते हुए मातमी पहनावा अपना लिया। अजाखानों में अलम सजाए जा चुके हैं और नोहे-सोज़ की सदाएं बुलंद होने लगी हैं।
शुक्रवार से नौ दिनों तक मजलिसों का सिलसिला शुरू होगा, जिसमें इमाम हुसैन की शहादत और कर्बला की दास्तान को याद किया जाएगा। वहीं सुन्नी समुदाय भी इस मौके पर जलसे और दुआओं का आयोजन कर शहीदों को ख़िराजे अकीदत पेश करेगा।
पहली मुहर्रम से शुरू होंगी मजलिसें, हुसैनाबाद ट्रस्ट ने जारी किया कार्यक्रम
मुहर्रम की पहली तारीख से लेकर नौवीं तक लखनऊ में विभिन्न इमामबाड़ों में मजलिसों का आयोजन किया जाएगा। हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार:
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छोटा इमामबाड़ा – सुबह 9 बजे और रात 8 बजे
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इमामबाड़ा शाहनजफ़ – सुबह 11 बजे
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कर्बला मलका आफ़ाक ख़दरा – दोपहर 3 बजे
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मकबरा नवाब सआदत अली ख़ां – सुबह 8 बजे
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रौज़ा-ए-काज़मैन – सुबह 7 बजे
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इमामबाड़ा आगा अब्बू साहब – रात 8 बजे
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इमामबाड़ा मलका जहाँ – रात 8 बजे
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बड़ा इमामबाड़ा – पहली मुहर्रम को दोपहर 3 बजे और दूसरी से नौवीं मुहर्रम तक सुबह 8 बजे
हर इमामबाड़े में इमाम हुसैन और उनके जांबाज़ साथियों की कुर्बानी को याद करते हुए मजलिसें आयोजित होंगी। अजादार बड़ी तादाद में इन मजलिसों में शामिल होकर ग़म-ए-हुसैन में शरीक होंगे।