- नंदीग्राम से करीब चार गुना अधिक नाम कटे
जुबिली स्पेशल डेस्क
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग (EC) द्वारा जारी निर्वाचन क्षेत्र-वार आंकड़ों ने सियासी हलचल तेज कर दी है। शुक्रवार को जारी डेटा के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में राज्य में सबसे अधिक वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। यह संख्या विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से लगभग चार गुना ज्यादा है।
चुनाव आयोग ने यह आंकड़े स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के तहत वोटर गिनती से जुड़े फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि खत्म होने के एक दिन बाद जारी किए। अगले सप्ताह जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से पहले सामने आए इन आंकड़ों ने राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है।
भवानीपुर बनाम नंदीग्राम: आंकड़ों में बड़ा अंतर
डेटा के अनुसार, दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में जनवरी 2025 तक दर्ज 2,06,295 वोटरों में से 44,787 नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। भवानीपुर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है।
वहीं, नंदीग्राम में कुल 2,78,212 वोटरों में से 10,599 नाम डिलीट किए गए। नंदीग्राम वही इलाका है जो भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन का केंद्र रहा और 2011 में TMC के सत्ता में आने का आधार बना। फिलहाल यह शुभेंदु अधिकारी का मजबूत गढ़ है।
उत्तरी कोलकाता के चौरंगी में सबसे ज्यादा नाम कटे
हालांकि, भवानीपुर पर सबसे ज्यादा राजनीतिक चर्चा हो रही है, लेकिन राज्य में सबसे अधिक वोटर डिलीशन का मामला उत्तरी कोलकाता के चौरंगी विधानसभा क्षेत्र से सामने आया है। यहां कुल 74,553 वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए।
चौरंगी का प्रतिनिधित्व TMC विधायक नयना बंद्योपाध्याय करती हैं, जिन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में यह सीट 44,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी।
इसी तरह, वरिष्ठ मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम के निर्वाचन क्षेत्र कोलकाता पोर्ट में 63,730 वोटरों के नाम हटाए गए। हकीम ने 2021 में यह सीट लगभग 70,000 वोटों के बड़े अंतर से जीती थी।
सिलीगुड़ी में भी बड़ी संख्या में वोटर डिलीट
उत्तर बंगाल की अहम सीट सिलीगुड़ी में भी 31,181 वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इस सीट का प्रतिनिधित्व बीजेपी विधायक शंकर घोष करते हैं, जो पहले CPI(M) में थे और 2021 के चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने सिलीगुड़ी सीट 35,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी, जो उत्तर बंगाल में बीजेपी की बड़ी जीतों में से एक मानी जाती है।
एक जैसी प्रक्रिया का दावा
चुनाव आयोग ने डिलीट किए गए नामों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है, जिनमें मृत्यु, स्थान परिवर्तन, पता न मिलना और डुप्लीकेट एंट्री शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पूरे राज्य में इस प्रक्रिया के दौरान एक समान नियमों का पालन किया गया है। बावजूद इसके, अलग-अलग क्षेत्रों में सामने आए आंकड़ों ने सियासी बहस को और तेज कर दिया है।
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