न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में सत्ता की कुर्सी का दंगल अभी थमा नहीं है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार बनाने के लिए जो चर्चा शुरू हुई थी, वह सफल हो पाती उससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया है। राज्यपाल की सिफारिश को मंगलवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी। अब इसी के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, जिसपर आज सुनवाई होनी है।
शिवसेना के साथ जो हुआ है उसे आप इस एक जुमले में समझ सकते हैं- न घर के रहे न घाट के। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को बहुमत मिला था। इसके बाद भी महाराष्ट्र में किसी भी दल की सरकार नहीं बन पाई और राष्ट्रपति शासन लग गया है। अब बीजेपी इसके लिए शिवसेना को जिम्मेदार ठहरा रही है।

वहीं, कुर्सी के लालच में बीजेपी से संबंध खराब कर शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस की तरफ कदम बढ़ाए लेकिन इन दलों ने भी शिवसेना का साथ नहीं दिया। इन सब के बीच शिवसेना दो राहे पर आकर खड़ी हो गई है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जिन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से कम कुछ भी नहीं मंजूर था, उन्हें न माया मिली न राम। उल्टा मातोश्री का मान भी घट गया।
जो मातोश्री कभी महाराष्ट्र की राजनीति का पावर सेंटर हुआ करता था। जहां शिवसेना के प्रमुख से मिलने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, एलके आडवाणी, पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे बड़े जाया करते थे। अब उस शिवसेना प्रमुख को सत्ता की लालसा ने मातोश्री के चौखट से बाहर निकलने को मजबूर कर दिया। उद्धव ठाकरे एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने एक पांच सितारा होटल में गए तो कांग्रेस नेता से मिलने के लिए उनके आवास पर जाने से भी गुरेज ने कर रहे हैं।
हालांकि इन सभी के बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में सरकार बनाने के लिए बात जारी है। एनसीपी के नेता अजित पवार ने कहा कि तीनों दलों के बीच बात जारी है। शरद पवार और कांग्रेस नेता मिलकर आगे की बात करेंगे। उन्होंने कहा कि जो फैसला होगा शरद पवार ही लेंगे।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
