जुबिली स्पेशल डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है, इस बार चर्चा का केंद्र हैं उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संभावित राजनीतिक एकजुटता। लेकिन इस गठबंधन की संभावनाओं पर पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने बेबाक टिप्पणी की है।
उन्होंने कहा, “अगर दो भाई साथ आ रहे हैं तो आएं, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। चाहें तो और भाइयों को भी साथ ले आएं। पहले भी तो ये लोग साथ ही थे। बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार के पास फिलहाल 235 विधायक हैं। इसलिए हमें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है।”
राज ठाकरे के फैसले पर भी बोले राणे
राज ठाकरे की भूमिका पर बोलते हुए नारायण राणे ने कहा,”राज ठाकरे को साथ जाना है या नहीं, ये फैसला उनका निजी है। ये उनकी समझ और जिम्मेदारी का मामला है, इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।”
उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला
उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री कार्यकाल को लेकर नारायण राणे ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा:”जब वो मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने कोई खास काम नहीं किया। ढाई साल में सिर्फ दो दिन मंत्रालय पहुंचे। न किसान के लिए कुछ किया, न मजदूरों के लिए। आज भी वे सिर्फ राजनीतिक स्टंट कर रहे हैं।”
मराठी मुद्दे पर उठे सवाल
मराठी भाषा को लेकर उद्धव ठाकरे के तेवरों पर राणे ने सवाल उठाया: “अब अचानक मराठी की याद आ रही है? जब वे सोनिया गांधी और शरद पवार के साथ सरकार चला रहे थे, तब मराठी भाषा की चिंता कहां गई थी?”
उन्होंने पूछा, “उद्धव ठाकरे बताएं कि उन्होंने कितने मराठी युवाओं को रोजगार दिलाया? क्या कोई नीति बनाई?”
राणे का कहना है कि उद्धव का मराठी प्रेम महज़ एक राजनीतिक नौटंकी बनकर रह गया है।
हिंदी भाषी दुकानदार पर हमले को लेकर क्या बोले?
हिंदी भाषी दुकानदार की पिटाई के सवाल पर उन्होंने संयमित प्रतिक्रिया दी “इस घटना की जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन किसी भी भाषा-समुदाय के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए।”