जुबिली न्यूज डेस्क
तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई है। शिक्षा नीति, वक्फ और SIR जैसे मुद्दों पर पहले से ही केंद्र के खिलाफ मुखर राज्य सरकार अब मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र ने दोनों शहरों के मेट्रो प्रोजेक्ट्स को तुच्छ कारणों से खारिज कर राज्य के लोगों के साथ “बदले की कार्रवाई” की है।

“बीजेपी शासित राज्यों को मंजूरी, तमिलनाडु को नहीं”
स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि केंद्र ने “कोविल नगर” यानी मदुरै और “दक्षिण भारत का मैनचेस्टर” कोयंबटूर के लिए “नो मेट्रो” का आदेश दिया है, जबकि इससे छोटे शहरों में भी मेट्रो प्रोजेक्ट स्वीकार किए गए हैं—लेकिन वे शहर बीजेपी-शासित राज्यों में हैं।
स्टालिन का दावा है कि आगरा, भोपाल और पटना जैसे शहरों में मेट्रो को मंजूरी मिली है, जबकि इनकी आबादी भी 20 लाख के मानक से कम थी, फिर भी केंद्र ने नियमों को “असमान रूप से” लागू किया।
क्यों लौटाई गई DPR?—केंद्र का तर्क
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने मेट्रो रेल नीति 2017 का हवाला देते हुए तमिलनाडु की दोनों DPR रिपोर्टें लौटा दीं।
इस नीति के अनुसार:
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मेट्रो परियोजनाओं के लिए केंद्रीय समर्थन केवल उन शहरी समूहों को मिलता है जिनकी आबादी 20 लाख से अधिक हो।
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2011 की जनगणना के अनुसार:
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कोयंबटूर की आबादी: लगभग 15.84 लाख
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मदुरै की आबादी: लगभग 15 लाख
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दोनों शहर इस सीमा से नीचे होने के कारण DPR को अस्वीकार कर दिया गया।
“तमिलनाडु के जनादेश से बदला ले रहा केंद्र” — स्टालिन
स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के लोकतांत्रिक जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रही है और इसलिए राज्य को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से वंचित किया जा रहा है। उनके शब्दों में—“सरकार सबके लिए होती है, लेकिन केंद्र तमिलनाडु के फैसले को बदले की राजनीति का बहाना बना रहा है। यह रवैया शर्मनाक है।” उन्होंने वादा किया कि तमिलनाडु सरकार और लोग मिलकर इन दोनों शहरों में मेट्रो परियोजनाओं को वास्तविकता बनाएंगे।
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तमिलनाडु सरकार के दावे
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फरवरी से दिसंबर 2024 के बीच DPR जमा की गई।
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मार्च 2025 में केंद्र ने संसद में कहा था कि DPR पर विचार किया जा रहा है।
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बाद में प्रोजेक्ट्स को अचानक अस्वीकार कर दिया गया।
मदुरै और कोयंबटूर के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद बढ़ गया है। चुनावी साल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और भी गर्माने वाला है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या राज्य सरकार निजी या वैकल्पिक फंडिंग मॉडल अपनाकर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाती है या यह राजनीतिक बहस लंबी खिंचती है।
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