Sunday - 24 August 2025 - 10:17 AM

JPC विवाद: विपक्षी दलों का बहिष्कार, कांग्रेस दुविधा में फंसी

जुबिली स्पेशल डेस्क

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की बर्खास्तगी से जुड़े विधेयक की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को लेकर विपक्षी राजनीति तेज हो गई है।

विपक्षी दल एक-एक कर इस समिति से किनारा कर रहे हैं। सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे “नौटंकी” करार देते हुए बहिष्कार किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी (SP) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी साफ कहा कि उनकी पार्टी JPC में शामिल नहीं होगी। अब आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी यही रुख अपना लिया है।

टीएमसी, सपा और आप के इस रुख से कांग्रेस के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, कांग्रेस अब तक JPC का हिस्सा बनने के पक्ष में रही है, लेकिन विपक्षी एकजुटता के दबाव में अब उसे अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

ये भी पढ़ें –अमेरिका जाने वाली डाक सेवाओं पर लगी रोक, ट्रंप के टैरिफ के बीच सरकार का बड़ा ऐलान

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस का मानना रहा है कि संसदीय समितियों की कार्यवाही अदालतों में महत्व रखती है और विवादित विधेयकों पर जनमत को प्रभावित करती है। मगर अब बहिष्कार की वजह से विपक्षी समीकरण बदल गए हैं। सवाल यह है कि कांग्रेस विपक्ष की एकता को प्राथमिकता देगी या अपनी पुरानी लाइन पर अड़ी रहेगी।

अखिलेश यादव का हमला

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ममता बनर्जी और टीएमसी के साथ खड़ी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब खुद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि उन्हें कई मामलों में झूठा फंसाया गया था, तो फिर यह विधेयक किस आधार पर लाया गया है?

ये भी पढ़ें –पूजा पाल की चिट्ठी से मचा बवाल, शिवपाल यादव का पलटवार

अखिलेश का तर्क है कि इस प्रावधान के जरिए किसी भी नेता को फर्जी मामलों में फंसाकर पद से हटाया जा सकता है। उन्होंने आजम खान, रामाकांत यादव और इरफान सोलंकी जैसे उदाहरण भी दिए, जिन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा।

ये भी पढ़ें –कुशीनगर एक्सप्रेस के बाथरूम में 5 साल के मासूम का शव, रिश्तेदार पर हत्या का आरोप

अखिलेश ने यह भी जोड़ा कि यह कानून संघीय ढांचे के खिलाफ है। उनके अनुसार, राज्यों में मुख्यमंत्री अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस ले सकते हैं और केंद्र का उस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा। केंद्र सिर्फ CBI, ED जैसी एजेंसियों द्वारा दर्ज मामलों को देख पाएगा।

टीएमसी का आरोप-“सिर्फ नौटंकी”

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस JPC को पूरी तरह “नौटंकी” बताया। उनका कहना है कि मोदी सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि पहले JPC जनता के प्रति जवाबदेही तय करने का जरिया हुआ करती थी, लेकिन 2014 के बाद से इसे महज़ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

अपने ब्लॉग में ओ’ब्रायन ने लिखा कि लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा चेयरमैन JPC अध्यक्ष का चयन करते हैं और सदस्यों का नामांकन पार्टी की संख्या के आधार पर होता है, जिससे समिति का झुकाव स्वाभाविक रूप से सत्तारूढ़ दल के पक्ष में हो जाता है।

विधेयक में क्या है?

20 अगस्त को लोकसभा में तीन अहम संशोधन विधेयक पेश किए गए –

  1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
  2. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025
  3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025

इनका उद्देश्य यह प्रावधान करना है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से अधिक समय तक हिरासत में रहते हैं, तो उनकी पद से स्वतः बर्खास्तगी हो जाएगी।

इन विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित JPC में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद शामिल हैं। समिति को अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में पेश करनी है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com