न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। अनलिमिटेड कॉल्स का ज़माना एक बार फिर से खत्म होता हुआ नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में उपभोक्ता को हर कॉल की कीमत चुकानी पड़ेगी। अपने देश में टेलीकॉम बाज़ार में तीन- चार साल पहले तक लगभग 10 कंपनियां मौजूद थीं।
इनके बीच अच्छी प्रतिद्वंद्विता थी, जिसके चलते सस्ते टैरिफ़ प्लान ग्राहकों को मिलते थे, उन्हें कई आकर्षक ऑफ़र चुनने को मिल जाते थे। लेकिन जब रिलायंस जैसे बड़ी कंपनी ने जियो को बाज़ार में उतारा तो उन्होंने बहुत आक्रामक तरीक़े से अपना प्रचार किया।

उन्होंने बाकी सभी कंपनियों के मुक़ाबले अपने प्लान को सबसे ज़्यादा सस्ता रखा। लोग उनकी ओर आकर्षित होते चले गए और बाकी कंपनियों का साथ छूटता चला गया।
इन तीन चार साल में जियो के ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ती गई जबकि बाज़ार में मौजूद बाकी टेलीकॉम कंपनियां गायब होती चली गईं और अब सिर्फ़ चार कंपनियां ही हमारे सामने रह गई हैं।
इन चार में से भी एक कंपनी बीएसएनएल है, जो बदहाल है। वह बाज़ार में है भी या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। तो मोटे तौर पर जियो के अलावा सिर्फ दो ही प्रमुख कंपनियां हैं, एयरटेल और वोडाफोन। बाज़ार का यह हाल चिंताजनक है।
भारत में एक आम आदमी का औसतन महीने का मोबाइल बिल 150-250 रुपए तक आता है। यह दुनिया में सबसे कम ख़र्च है। इतने कम ख़र्च में किसी तरह की टेलीकॉम कंपनी का चलना बहुत ही मुश्किल है। एयरटेल और वोडाफ़ोन जैसी कंपनियां भी भारतीय बाज़ार में बहुत सालों से मौजूद हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें भारतीय बाज़ार की समझ नहीं थी।

लेकिन यह कहना होगा कि जियो जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के आने से इन पर बहुत ज़्यादा असर पड़ गया। इन कंपनियों को बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि जियो की तरफ़ इस तरह से लोग चले जाएंगे। साथ ही जियो बहुत ही नई तकनीक के साथ बाज़ार में उतरा था। बाकी कंपनियां जहां 2जी और 3जी में चल रही थीं वहीं जियो सीधे 4जी के साथ बाज़ार में उतरी।
कंपनियों का मुख्य मुद्दा यह है कि वो ग्राहकों का औसत महीने का बिल बढ़ा सकें। इसके लिए वे वॉयस कॉल की दरों में वृद्धि कर रही हैं। यही वजह है कि अनलिमिटेड कॉलिंग के घंटों में भी कुछ लिमिट कर दी गई है। साथ ही डेटा प्लान में भी बदलाव किया गया है।
जैसे जियो ने दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए पैसे चार्ज करने शुरू किए लेकिन वो साथ ही इसके लिए आपको डेटा भी दे रही है। बाकी कंपनियों को भी इस तरह के प्लान पर काम करना होगा। कंपनियों का मक़सद अनलिमिटेड दौर को ख़त्म करना नहीं है वो बस औसत बिल को 150-250 रुपए से बढ़ाकर 260 -350 रुपए तक करना चाहती हैं।
बाज़ार का जो फ़िलहाल हाल है उसमें यह कह सकते हैं कि एक ही कंपनी सबसे ज़्यादा चल रही है। बाकी जो दो कंपनियां हैं उसमें वोडाफ़ोन का हाल भी ज़्यादा अच्छा नहीं है। ऐसे में बस जियो ही है जो बाज़ार के हिसाब से ख़ुद को आगे ले जा रही है।
साथ ही इस कंपनी ने सरकार की नीतियों के अनुसार भी ख़ुद को ढाला है। यह बात भी इनके पक्ष में गई है। अभी जिस तरह का बाज़ार है, सरकार है और उनकी नीतियां हैं, यह सब देखते हुए लगता है कि सब कुछ जियो के पक्ष में ही जा रहा है।
अब सरकार को देखना होगा कि इन हालातों को बहुत ज़्यादा बिगड़ने से पहले कैसे सुधारा जाए। ट्राई और डीओटी को इसके लिए पहल करनी होगी। सरकार को निश्चित करना होगा कि बाज़ार में एक ही कंपनी का राज नहीं हो जाए क्योंकि तब हालात बेहद ख़राब हो जाएंगे। शायद इसके लिए कॉम्पिटीशन कमिशन ऑफ़ इंडिया को भी बीच में आना पड़ सकता है।
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