जुबिली न्यूज डेस्क
आजादी के 78 साल बाद भी भारत-पाकिस्तान के बीच सर क्रीक सीमा विवाद (Sir Creek Dispute) पूरी तरह समाप्त नहीं हो सका है। भारत ने कई बार कूटनीतिक बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की मंशा अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इसी बीच पाकिस्तान ने सर क्रीक से सटे क्षेत्रों में सैन्य ढांचे का विस्तार किया है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है।
रक्षा मंत्री का बड़ा बयान
भारत के रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की नीयत पर शक होना स्वाभाविक है क्योंकि उसके हालिया कदम क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की कोशिश को दिखाते हैं।उन्होंने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा –“अगर पाकिस्तान सर क्रीक क्षेत्र में कोई दुस्साहस करता है, तो उसे ऐसा निर्णायक जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे।”
1965 युद्ध की याद दिलाई
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को 1965 के युद्ध की याद भी दिलाई। उन्होंने कहा कि तब भारतीय सेना लाहौर तक पहुंचने की क्षमता दिखा चुकी थी।
“आज 2025 में पाकिस्तान को यह नहीं भूलना चाहिए कि कराची तक पहुंचने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर जाता है।”
सर क्रीक विवाद क्यों है अहम?
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सर क्रीक विवाद 1960 के दशक से लंबित है।
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यह गुजरात (भारत) और सिंध प्रांत (पाकिस्तान) के बीच स्थित है।
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यह क्षेत्र समुद्री सीमांकन से जुड़ा हुआ है।
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सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है क्योंकि कराची तक पहुंचने का संभावित मार्ग इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है।
सामरिक और भू-राजनीतिक महत्व
सर क्रीक क्षेत्र सिर्फ सीमा विवाद का मामला नहीं है। यह क्षेत्र –
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तेल, खनिज और मछली संसाधनों के लिए अहम है।
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हिंद महासागर में व्यापार मार्ग और समुद्री सुरक्षा के लिहाज से रणनीतिक महत्व रखता है।
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यहां किसी भी तरह का सैन्य तनाव न केवल भारत-पाक संबंधों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है।
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने साफ कर दिया है कि वह सीमा सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान की हालिया सैन्य गतिविधियां अगर जारी रहीं, तो भारत कड़े और निर्णायक कदम उठाएगा।