Friday - 21 November 2025 - 11:29 AM

भारत की हवाई सुरक्षा शक्ति में बड़ा इजाफा! रूस देगा 2–3 अतिरिक्त S-400, बातचीत शुरू

जुबिली न्यूज डेस्क

भारत की हवाई सुरक्षा आने वाले सालों में और मजबूत हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक रूस ने संकेत दिया है कि वह भारतीय वायुसेना को 2 से 3 अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस रेजिमेंट देने के लिए तैयार है। यह पेशकश ऐसे समय आई है जब ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में भारतीय S-400 सिस्टम ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को रोककर अपनी घातक क्षमता का दमदार प्रदर्शन किया था।

सूत्र बताते हैं कि रूस की सरकारी कंपनी रोस्टेक (Rostec) ने भारत के साथ नई S-400 डील पर शुरुआती स्तर की बातचीत शुरू कर दी है। रूस का दावा है कि इस बार डिलीवरी समय पर और तय शेड्यूल के मुताबिक ही होगी, ताकि पिछली देरी की समस्या दोबारा न आए।

2018 की पुरानी डील में दो रेजिमेंट अभी भी पेंडिंग

भारत ने 2018 में 5.43 अरब डॉलर में कुल पाँच S-400 रेजिमेंट खरीदने का अनुबंध किया था।

  • पहली तीन रेजिमेंट 2023 तक भारत को मिल चुकी हैं।

  • चौथी और पाँचवीं रेजिमेंट यूक्रेन युद्ध की वजह से अटक गईं।

  • अब इनकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत और मध्य के बीच होने की संभावना है।

इसी वजह से भारत ने साफ कहा है कि नई डील तभी फाइनल होगी, जब रूस डिलीवरी टाइमलाइन की 100% गारंटी देगा।

S-400 बना भारत की हवाई सुरक्षा का “सुदर्शन चक्र”

IAF में S-400 को प्रतीकात्मक रूप से “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है क्योंकि यह चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर भारत के मल्टी-लेयर एयर डिफेंस का मुख्य स्तंभ बन चुका है।

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की ऐतिहासिक सफलता

  • आदमपुर से तैनात S-400 ने 314 किमी दूर पाकिस्तानी विमान को मार गिराया।

  • IAF चीफ के अनुसार S-400 ने

    • 6 JF-17 लड़ाकू विमान

    • 1 ISR विमान
      को 300+ किमी रेंज से नष्ट किया।

  • इसकी Big Bird रडार ने एक साथ 300 से अधिक टारगेट ट्रैक किए।

  • सिस्टम को तैनात करने में 5 मिनट से भी कम समय लगा।

इन उपलब्धियों ने साबित कर दिया कि S-400 भारत की एयर डिफेंस नेटवर्क की रीढ़ है।

नई S-400 डील में “मेक इन इंडिया” की बड़ी छलांग

नई बातचीत में सबसे खास बात यह है कि रूस 50% तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) देने के लिए तैयार है।

इससे मिलने वाले फायदे:

  • BDL जैसी भारतीय कंपनियाँ मिसाइल असेंबली में शामिल होंगी।

  • अक्टूबर 2025 में मंजूर 48N6 मिसाइल के लोकल प्रोडक्शन को गति मिलेगी।

  • S-400 सपोर्ट सिस्टम में 50% तक स्वदेशीकरण संभव।

  • कुल लागत घटेगी, भारत की विदेशी निर्भरता कम होगी

  • रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक बड़ा रणनीतिक कदम होगा।

नई S-400 डील: कब हो सकती है फाइनल?

  • बातचीत 2026 के मध्य तक पूरी होने की संभावना।

  • नई रेजिमेंट की डिलीवरी 2029–2030 के बीच शुरू हो सकती है।

  • अनुमानित लागत 23 अरब डॉलर हो सकती है।

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने S-400 की क्षमता को विश्व स्तर पर सिद्ध किया है। यदि नई डील पक्की होती है, तो भारत की हवाई सुरक्षा शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी और देश आस-पास के किसी भी हवाई खतरे का और अधिक प्रभावी ढंग से सामना कर सकेगा। यह भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग में एक नए रणनीतिक अध्याय की शुरुआत भी साबित हो सकता है।

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